ब्रुनेई में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत ‘विस्तारवाद की नहीं, विकास की नीति का समर्थन करता है’

ब्रुनेई में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत ‘विस्तारवाद की नहीं, विकास की नीति का समर्थन करता है’

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  • Publish Date - September 4, 2024 / 06:17 PM IST,
    Updated On - September 4, 2024 / 06:17 PM IST

(फोटो के साथ)

बंदर सेरी बेगवान, चार सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में बुधवार को कहा कि भारत ‘‘विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति’’ का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी की ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने क्षेत्र में ‘‘नौवहन की स्वतंत्रता’’ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।

प्रधानमंत्री की सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के साथ रक्षा, व्यापार समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा के साथ भारत और ब्रुनेई ने द्विपक्षीय साझेदारी को ‘उच्च स्तर तक’ बढ़ाने की कवायद को अमली जामा पहनाया।

मोदी ने सुल्तान बोलकिया द्वारा आयोजित भोज में किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘हम विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति का समर्थन करते हैं।’’

चीन का दक्षिण चीन सागर (एससीएस) और पूर्वी चीन सागर (ईसीएस) में कई देशों के साथ विवाद है। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘हम इस बात पर सहमत हैं कि इस क्षेत्र में एक आचार संहिता को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा आसियान (दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) को प्राथमिकता दी है और आगे भी ऐसा करता रहेगा।

ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा पर आने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हम यूएनसीएलओएस (समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि) जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं।’’

दोनों नेताओं की वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया। बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा और सुरक्षा को बनाए रखने एवं बढ़ावा देने के साथ नौवहन एवं उड़ान की स्वतंत्रता का सम्मान करने एवं अंतरराष्ट्रीय कानून विशेष रूप से यूएनसीएलओएस, 1982 के अनुरूप निर्बाध वैध व्यापार की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।’’

इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस 1982 के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को सुलझाने का आग्रह किया।

मोदी ने ब्रुनेई को भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत के लिए दृष्टिकोण में एक ‘‘महत्वपूर्ण साझेदार’’ बताया और कहा कि सुल्तान के साथ उनकी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई तथा दोनों पक्ष व्यापार संबंधों, वाणिज्यिक संबंधों और लोगों के बीच आदान-प्रदान को और आगे बढ़ाने जा रहे हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘भारत और ब्रुनेई के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। इस वर्ष हम अपने राजनयिक संबंधों की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर हमने अपने संबंधों को साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।’’

दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण, संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी), फिनटेक, साइबर सुरक्षा, नयी और उभरती प्रौद्योगिकियों और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावना तलाशने और उसे आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

मोदी ने कहा, ‘‘हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक दिशा देने के लिए अपने संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक बातचीत की। हम आर्थिक, वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने कृषि-उद्योग, दवा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के साथ-साथ फिनटेक और साइबर सुरक्षा में अपने सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। अपने रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए हमने रक्षा उद्योग, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में सहयोग की संभावनाओं पर रचनात्मक बातचीत की। अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हमने उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और प्रशिक्षण में सहयोग पर सहमति व्यक्त की है।’’

दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और देशों से इसे खारिज करने का आह्वान किया।

उन्होंने आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘द्विपक्षीय संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में हुई शानदार प्रगति पर विचार करते हुए, दोनों नेताओं ने आपसी हित के सभी क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत, गहन एवं प्रगाढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’

दोनों नेताओं ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि यह ऐतिहासिक यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है तथा उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले चार दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में ब्रुनेई और भारत के बीच गहरी मित्रता और मजबूत हुई है।

दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को और बढ़ाने पर सहमति जताई। उन्होंने नियमित आदान-प्रदान और संवाद के महत्व को रेखांकित किया, जिसे संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) जैसे प्रमुख मंचों के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से आयोजित किया जाना चाहिए।

संयुक्त बयान में कहा गया कि उन्होंने खाद्य सुरक्षा के महत्व को स्वीकार किया तथा ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभव के आदान-प्रदान के माध्यम से कृषि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ब्रुनेई में स्थापित टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं टेलीकमांड (टीटीसी) केंद्र को जारी रखने के लिए ब्रुनेई की भरपूर सराहना की। इस केंद्र से भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में जारी उसके प्रयासों में मदद मिली है।

दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को मजबूत करने तथा समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले बहुपक्षवाद को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय जलवायु उद्देश्यों के अनुरूप इस बढ़ती चुनौती के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के प्रयासों को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने सुल्तान और पूरे शाही परिवार को उनके गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने सुल्तान को भारत आने का निमंत्रण दिया।

दोनों पक्षों ने उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।

सिंगापुर के लिए रवाना होने से पहले मोदी ने ब्रुनेई की अपनी यात्रा को ‘‘सार्थक’’ बताते हुए कहा कि इससे ‘‘भारत-ब्रुनेई संबंधों को और भी मजबूत बनाने के लिए एक नए युग’’ की शुरुआत हुई है, जो हमारी धरती को बेहतर बनाने में योगदान देता है।

भाषा आशीष माधव

माधव