रियाद, नौ सितंबर (भाषा) भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने सोमवार को दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की और स्वास्थ्य, व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा सहित विविध क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियां संचालित करने के लिए एक ‘‘संयुक्त कार्ययोजना’’ को मंजूरी दी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान के साथ रणनीतिक वार्ता के लिए पहली भारत-जीसीसी संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की।
जयशंकर ने कहा कि एक सामूहिक इकाई के रूप में जीसीसी भारत के लिए काफी मायने रखती है और यह भारत का ‘‘विस्तारित’’ पड़ोस है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में साझेदारी के चार प्रमुख स्तंभों – लोग, समृद्धि, प्रगति और सुरक्षा को रेखांकित किया।
जयशंकर ने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा, ‘‘हमारे लोगों के बीच संबंध हमारे संबंधों की आधारशिला हैं। करीब 90 लाख भारतीय आपके बीच काम करते हैं और रहते हैं, जो हमारे बीच एक जीवंत सेतु की तरह काम करते हैं। आपकी आर्थिक प्रगति में उनके योगदान को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। हम उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आपको धन्यवाद देते हैं।’’
उन्होंने कहा कि समृद्धि बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत महत्वपूर्ण है।
मंत्री ने कहा, ‘‘व्यापार न केवल मात्रा में बढ़ा है, बल्कि विविधता में भी बढ़ा है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्थाओं को गति प्रदान करती हैं और रोजगार सृजन करती हैं। यह जरूरी है कि हम केवल आज के लिए न सोचें।’’
उन्होंने भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने का आग्रह किया।
जयशंकर ने जीसीसी को वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की आधारशिला बताते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है।
यह भारत और जीसीसी के बीच विदेश मंत्री स्तर की पहली बैठक थी और इसमें सभी जीसीसी देशों के विदेश मंत्रियों और जीसीसी के महासचिव जसीम मोहम्मद अलबुदैवी ने भाग लिया।
नेताओं ने साझा हित के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की।
इससे पहले दिन में, जयशंकर ने भारत-जीसीसी मंत्रिस्तरीय बैठक के इतर कतर, सऊदी अरब, ओमान, कुवैत और बहरीन के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं।
भाषा सुभाष नेत्रपाल
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