वाशिंगटन, एक अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत, रूस और यूक्रेन के बीच संवाद स्थापित कर रहा है, ताकि दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने में मदद मिल सके।
अमेरिकी थिंक टैंक ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में अपनी उपस्थिति के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि आपने ‘संचार’ शब्द का प्रयोग किया, क्योंकि मुझे लगता है कि इस समय शायद यह हमारी वर्तमान स्थिति के लिए सबसे अच्छा विवरण है।’
मंत्री से रूस और यूक्रेन के साथ संबंधों में भारत की भूमिका के बारे में पूछा गया था।
उन्होंने कहा, ‘हमारी सार्वजनिक स्थिति यह है कि हमें नहीं लगता कि देशों के बीच के मतभेद या विवाद युद्ध से सुलझाए जा सकते हैं। दूसरी सार्वजनिक स्थिति यह है कि हमें नहीं लगता कि हम वास्तव में युद्ध के मैदान से एक निर्णायक परिणाम हासिल कर सकते हैं। तीसरी बात यह है कि अगर आप एक निर्णायक परिणाम नहीं हासिल करने वाले हैं, तो किसी न किसी रूप में, किसी न किसी बिंदु पर, बातचीत होनी ही चाहिए।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘अगर बातचीत होती है, जब भी हम वहां पहुंचते हैं, तो स्पष्ट रूप से संबंधित पक्षों के बीच कुछ तैयारी, कुछ खोज और कुछ संवाद होना चाहिए, जो मुख्य रूप से तार्किक है।’
उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए भारत ने कुछ अन्वेषी चर्चाएं शुरू कीं।
उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जी-7 के दौरान इटली यात्रा और फिर मॉस्को यात्रा के दौरान हुई।
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद हमने कीव की यात्रा की। उसके बाद हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मॉस्को गए, उसके बाद प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में जेलेंस्की से मुलाकात की और इस बीच, विभिन्न स्तरों पर, मैं या हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या कुछ अन्य लोग, दोनों पक्षों से बात करते रहे।’
उन्होंने कहा, ‘हम जो कर रहे हैं, उसके बारे में हम बहुत ही सावधान और सतर्क हैं। हम इसे छिपा नहीं रहे हैं। हमारा प्रयास संवाद स्थापित करना है, जिस किसी से भी हमारी बातचीत हो रही है, उसे हम रुचिकर मानते हैं, जो भी बात हम सुनते हैं, उसे हम दूसरे पक्ष तक पहुंचाते हैं और उसे सद्भावनापूर्वक संप्रेषित करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य मददगार होना है। कुछ हद तक हमें अन्य लोगों को भी सूचित रखना होगा। जहां यह आवश्यक होता है, हम ऐसा भी करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘देखिए हम युद्ध के तीसरे वर्ष में हैं। आज ऐसे बहुत कम देश हैं जो इन दोनों राजधानियों में जाकर, दोनों नेताओं से बात करके, फिर दूसरे पक्ष के पास वापस जाने की क्षमता रखते हैं। मुझे लगता है कि किसी भी संघर्ष में, यदि किसी बिंदु पर संघर्ष को समाप्त करने का इरादा है, तो ऐसे प्रयास उपयोगी होते हैं। मैं कहूंगा कि वे प्रशंसनीय भी हैं।’
जयशंकर ने कहा, ‘लेकिन फिर से कृपया समझें कि हम कोई वादा नहीं कर रहे हैं। हम यह सुझाव नहीं दे रहे हैं कि हमारे पास कोई बड़ा समझौता या शांति योजना है। हम बस कुछ मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन, हम यह भी मानते हैं कि किसी भी देश द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना होगा, तथा उसे नागरिक आबादी पर किसी भी तरह के नुकसान या प्रभाव के बारे में सावधान रहना होगा। गाजा में जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए, वहां किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय मानवीय प्रयास होना महत्वपूर्ण है।’
उन्होंने कहा, ‘हम संघर्ष के व्यापक होने की आशंका से बहुत चिंतित हैं… न केवल लेबनान में जो हुआ उससे, बल्कि हूती और लाल सागर तक भी… और आप जानते हैं कि कुछ हद तक ईरान और इजराइल के बीच जो कुछ भी हो रहा है उससे भी (चिंतित हैं)।
भाषा योगेश सुरेश
सुरेश