(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 13 जुलाई (भाषा) भारत ने जटिल फलस्तीनी मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी ऐतिहासिक और अटूट प्रतिबद्धता की फिर पुष्टि की तथा वार्ता के माध्यम से ‘‘द्वि-राष्ट्र समाधान’’ का समर्थन किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभारी राजदूत एवं उप स्थायी प्रतिनिधि आर. रवीन्द्र ने शुक्रवार को फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के एक सम्मेलन में यह बयान दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने हमेशा बातचीत के माध्यम से द्वि-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है, जिससे एक संप्रभु, स्वतंत्र और सक्षम फलस्तीन देश की स्थापना हो सके।’’
फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के सम्मेलन में भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने फलस्तीनी मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए नयी दिल्ली की ऐतिहासिक और अटूट प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि भारत ने गाजा में जारी इजराइल-हमास संघर्ष पर सैद्धांतिक रुख अपनाया है और नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के हताहत होने की कड़ी निंदा की है।
रवीन्द्र ने कहा कि मुश्किलों को कम करने में यूएनआरडब्ल्यूए की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है। उन्होंने कहा कि भारत फलस्तीन के लोगों के लिए एक भरोसेमंद साझेदार रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत फलस्तीन के 50 छात्रों को भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत यूएनआरडब्ल्यूए के विशेष अनुरोध पर उसे दवाइयां भी उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘फलस्तीनी प्राधिकरण की ओर से भी जीवन रक्षक दवाओं का अनुरोध किया गया है, जिस पर हम सक्रियता से विचार कर रहे हैं।’’
रवीन्द्र ने कहा, ‘‘हम फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता को दोहराते हैं।’’
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गाजा में तत्काल संघर्ष विराम और वहां बंधक बनाए गए सभी लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान किया।
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश
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