रेक्जाविक (आइसलैंड), 30 नवंबर (एपी) आइसलैंड के मतदाता नयी सरकार चुनने के लिए शनिवार को मतदान करेंगे। आव्रजन, ऊर्जा नीति और अर्थव्यवस्था पर मतभेदों के कारण प्रधानमंत्री बजरनी बेनेडिक्टसन को अपनी गठबंधन सरकार से दबाव का सामना करना पड़ा और समय से पहले चुनाव कराने पड़े।
आइसलैंड में 2008 के वित्तीय संकट के बाद से यह छठा आम चुनाव है। वित्तीय संकट ने उत्तरी अटलांटिक द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। इस वजह से देश में राजनीतिक अस्थिरता का भी नया दौर शुरू हो गया।
आइसलैंड में आम तौर पर साल के गर्म महीनों के दौरान चुनाव होते हैं। लेकिन 13 अक्टूबर को बेनेडिक्टसन ने फैसला किया कि उनका गठबंधन अब और नहीं चल सकता, और उन्होंने राष्ट्रपति हॉला टॉमसडॉटिर से संसद ‘अलथिंगी’ को भंग करने के लिए कहा।
आइसलैंड की आबादी करीब 4,00,000 है। यह देश खुद को दुनिया का सबसे पुराना संसदीय लोकतंत्र बताता है। द्वीपीय देश की संसद ‘अलथिंगी’ की स्थापना 930 में नॉर्समेन द्वारा की गई थी, जिन्होंने देश को बसाया था।
मतदाता ‘अलथिंगी’ के 63 सदस्यों को चुनाव में चुनेंगे, जिसमें क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों और आनुपातिक प्रतिनिधित्व दोनों के आधार पर सीटें आवंटित की जाएंगी। संसद में सीटें जीतने के लिए पार्टियों को कम से कम पांच प्रतिशत वोट की आवश्यकता होती है। निवर्तमान संसद में आठ पार्टियों का प्रतिनिधित्व था।
मौजूदा चुनाव में 10 पार्टियां भाग ले रही हैं। वर्ष 2021 के संसदीय चुनाव में 80 प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं ने मतदान किया था।
कई पश्चिमी देशों की तरह आइसलैंड भी महंगाई और आव्रजन दबावों से प्रभावित हुआ है। आइसलैंड शरणार्थियों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिससे इस छोटे देश के भीतर तनाव पैदा हो रहा है।
देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में ज्वालामुखी के बार-बार विस्फोट होने से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और सार्वजनिक वित्त पर दबाव पड़ा है।
एपी आशीष माधव
माधव
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