यूएससीआईआरएफ में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं: भारतीय समुदाय का संगठन

यूएससीआईआरएफ में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं: भारतीय समुदाय का संगठन

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  • Publish Date - May 18, 2024 / 09:27 AM IST,
    Updated On - May 18, 2024 / 09:27 AM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 18 मई (भाषा) अमेरिका में भारतीय समुदाय के एक शीर्ष ‘थिंक टैंक’ के प्रमुख का कहना है कि हिंदू समुदाय का अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) में प्रतिनिधित्व नहीं है जिसके कारण यूएससीआईआरएफ भारत और हिंदुओं के संबंध में पक्षपातपूर्ण, अवैज्ञानिक और एकतरफा रिपोर्ट पेश कर रहा है।

हिंदू धर्म के लोग अमेरिकी आबादी का एक प्रतिशत हिस्सा हैं और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है।

यूएससीआईआरएफ ने शुक्रवार को अपने आयोग में तीन नए सदस्यों – मॉरीन फर्ग्यूसन, विक्की हार्ट्जलर एवं आसिफ महमूद की नियुक्ति और स्टीफन श्नेक और एरिक उलैंड की पुनर्नियुक्ति की घोषणा की। पिछले आयुक्तों – अब्राहम कूपर, डेविड करी, फ्रेडरिक डेवी, मोहम्मद मैगिड, नूरी तुर्केल और फ्रैंक वुल्फ – का कार्यकाल 14 मई को समाप्त हो गया था।

‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) में नीति और रणनीति के प्रमुख खंडेराव कांड ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यूएससीआईआरएफ में नियुक्त हुए सदस्यों को बधाई। नेताओं ने आयोग में नियुक्ति के जरिए विविधता और संतुलन लाने का ऐतिहासिक अवसर गंवा दिया है। इस धरती पर हर छह में से एक व्यक्ति हिंदू धर्म से संबंध रखता है। आयोग में इस धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में विविधता नहीं आ पाएगी और उचित संतुलन नहीं बन पाएगा।’’

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की वार्षिक रिपोर्ट भारत के प्रति पक्षपातपूर्ण है।

खंडेराव ने कहा, ‘‘हमने आम तौर पर और इस साल भी देखा है कि यह रिपोर्ट भारत के प्रति पक्षपाती है। इस रिपोर्ट में पूरी बात नहीं होती। इसमें कुछ तथ्य पेश किए जाते हैं, लेकिन सभी तथ्य पेश नहीं किए जाते और कई तथ्यों को छुपाया जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह (यूएससीआईआरएफ रिपोर्ट) वास्तव में संदर्भ पेश नहीं करती। यह ऐतिहासिक तथ्य या रुख नहीं बताती। यह रिपोर्ट एक निश्चित विमर्श के अनुसार ही होती है, इसीलिए यह तथ्यात्मक रूप से पूर्ण नहीं है और यह विवाद का विषय बन जाती है। यह भारत विरोधी है। दुर्भाग्य से, यह भारत को विशेष चिंता वाले देशों की सूची में डालने की सिफारिश करती है।’’

खंडेराव ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के लिए इस प्रकार की सिफारिश अजीब लगती है।

भाषा सिम्मी संतोष

संतोष