(जिम रेडफोर्ड, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी)
सिडनी, एक नवंबर (द कन्वरसेशन) दुनिया प्रजातियों के विलुप्त होने, पारिस्थितिकी तंत्र के पतन और आनुवंशिक विविधता के नुकसान के लिहाज से निर्णायक बिंदु की तरफ बढ़ रही है। इन निर्णायक बिंदुओं को पार करना प्रकृति और मानव अस्तित्व दोनों के लिए विनाशकारी होगा।
इस विपत्ति से बचना कोलंबिया के कैली में संयुक्त राष्ट्र जैविक विविधता सम्मेलन के पक्षकारों के 16वें सम्मेलन (सीओपी16) का उद्देश्य है।
वर्ष 2022 में कनाडा के मॉन्ट्रियल में आयोजित सीओपी15 में अपनाए गए वैश्विक जैव विविधता ढांचे को लागू करने की प्रगति की सीओपी16 समीक्षा कर रहा है। प्रगति सबसे अच्छी रही है।
ये संकल्प, योजनाएं और लक्ष्य, आवश्यक और सराहनीय होते हुए भी, रोजमर्रा के काम में जुटे नागरिकों के लिए बहुत दूर की चीज और अक्सर अमूर्त होते हैं। सामूहिक वैश्विक कार्रवाई स्वाभाविक रूप से राजनीतिक है। जब तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है तो यह तीव्र गति से आगे बढ़ता है।
सरकार की कार्रवाई क्यों पर्याप्त नहीं है?
सीओपी16 एक नवंबर को समाप्त हो रहा है, लेकिन अब तक यह उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रहा है। सीओपी16 अध्यक्ष का दावा है कि इसने जैव विविधता को जलवायु के साथ ‘समान स्तर पर’ रखा है। हालाँकि, ठोस प्रतिबद्धताएं अभी तक सामने नहीं आई हैं।
उदाहरण के लिए, सीओपी16 से पहले, सरकारों ने ‘वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क फंड’ के लिए 2030 तक अनुमानित तौर पर प्रतिवर्ष आवश्यक 200 अरब अमेरिकी डॉलर में से केवल 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वादा किया था। इस सप्ताह अतरिक्त 16.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर के संकल्प के बाद योगदानकर्ताओं की कुल संख्या मात्र 12 है।
केवल 15 फीसदी देशों (ऑस्ट्रेलिया सहित) ने सीओपी15 में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी योजनाएं प्रस्तुत करने की समय सीमा पूरी की। इनमें दुनिया की कम से कम 30 फीसद भूमि और पानी की रक्षा करना और 2030 तक 30 फीसदी खराब पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना शामिल है।
और योजनाएं कार्रवाई की गारंटी नहीं देतीं। असल में, दुनिया ने इस तरह की पहलों द्वारा तय वैश्विक प्राकृतिक लक्ष्यों में से कभी किसी एक को भी हासिल नहीं किया।
प्राकृतिक पूंजी (नेचुरल कैपिटल) दुनिया भर में वैश्विक पहलों, सरकारी नीतियों, विपणन नारों और टिकाऊ फ्रेमवर्क के लिए एक लोकप्रिय शब्द है। प्राकृतिक पूंजी से तात्पर्य उन सभी जीवित और निर्जीव प्राकृतिक संसाधनों से है जो समाज को मूल्यवान उत्पाद और सेवाएं प्रदान करते हैं। संक्षेप में इसे लोग आमतौर पर ‘प्रकृति’ कहते हैं।
प्राकृतिक पूंजी को समझना और प्रबंधित करना जैव विविधता के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करने और धरती की सीमा से आगे न बढ़ते हुए भावी पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि हमने हाल ही में ‘नेचुरल कैपिटल प्राइमर’ बनाया है। यह एक वेबसाइट है जो बताती है कि हमारा दिन प्रतिदिन का जीवन, व्यवसाय और अर्थव्यवस्थाएं प्रकृति पर कैसे निर्भर करती हैं।
प्रकृति के साथ अपने संबंध को समझकर हम सब प्रकृति पर अपने प्रभाव को कम कर सकते हैं। आप आज से ही बदलाव ला सकते हैं और इसके पांच तरीके ये हैं-
1. संभव हो खपत में कटौती करें
क्या आपको वास्तव में अपने मोबाइल फोन, अपनी ग्रीष्मकालीन अलमारी या अपने फ्लैट स्क्रीन टीवी को अपडेट करने की ज़रूरत है? हम जो खरीदते हैं उसकी गूंज दुनिया भर में होती है।
नए उत्पादों की मांग संसाधन के दोहन (जिससे जीवों के वास की हानि होती है), कार्बन उत्सर्जन (जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है) और प्रदूषण (निवास स्थान की गुणवत्ता में गिरावट) को प्रभावित करती है। ये प्रभाव अक्सर उस स्थान से बहुत दूर होते हैं जहां हम अपनी खरीदारी करते हैं। हमारे फोन में लिथियम और हमारे कपड़ों में प्लास्टिक से लेकर हमारे वाहनों में धातु के इस्तेमाल तक, हमारी खपत मांग को बढ़ाती है, जो लगभग अनिवार्य रूप से जैव विविधता को नुकसान पहुंचाती है।
यदि आपको किसी चीज को बदलने की जरूरत है, तो सेकेंड-हैंड या पुनर्नवीनीकरण से प्राप्त सामग्री से बने उत्पाद खरीदने पर विचार करें।
2. आप जो भी खाते हैं उस पर गौर करें
भूमि उपयोग में परिवर्तन और जैव विविधता में हानि का एकमात्र सबसे बड़ा कारण कृषि है। बेशक, हम सभी को खाने की ज़रूरत है, लेकिन जहां संभव हो स्थानीय और स्थायी रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थ खरीदें।
अपनी शॉपिंग ट्रॉली में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को कम करना एक अच्छी शुरुआत है। मछली, समुद्री भोजन, लाल मांस और ताड़ के तेल आधारित उत्पादों का सेवन कम करने से भी मदद मिलेगी। यह मुद्दा सीधा नहीं है क्योंकि ये उत्पाद अस्थायी और स्थायी विकल्पों के भ्रमित मिश्रण के रूप में उपलब्ध हैं।
एक और जटिलता, जो ग्रीनवॉशिंग के बढ़ने से और भी बदतर हो गई है, वह यह है कि यह पता लगाना कठिन हो सकता है कि कुछ खाद्य पदार्थों में क्या है या वे कहां से आए हैं। स्थिरता प्रमाणन और ऐप (उदाहरण के लिए गुडफिश ऑस्ट्रेलिया) उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प चुनने में मदद कर सकते हैं।
3. नवीकरणीय ऊर्जा चुनें
जलवायु और जैव विविधता संकट एक दूसरे अलग नहीं किये जा सकते हैं। इनमें से किसी भी समस्या का समाधान अकेले नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, प्रकृति-आधारित समाधान जैसे कि जंगलों को कार्बन सिंक के रूप में संरक्षित करना, जलवायु संकट और जैव विविधता दोनों में मदद करेगा।
‘ग्रीनहाउस’ गैस उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जिससे कई प्रजातियों को खतरा है। हमारी पसंद की एक पूरी श्रृंखला हमारे ऊर्जा उपयोग के प्रभावों को निर्धारित करती है। अपने परिवहन के साधन से लेकर अपने घर को बिजली देने तक, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को चुनें। गूगल और अमेजन जैसी दिग्गज तकनीकी कंपनियां अपनी जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए परमाणु ऊर्जा को अपनाने की तरफ बढ़ रही हैं।
4. आप खुद पहल कर सकते हैं
आप जैव विविधता की रक्षा और वृद्धि के लिए सीधे अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकते हैं। अपने पड़ोस में पर्यावरण परियोजनाओं के लिए स्वयंसेवक बनें या दान दें। इससे न केवल आपको अच्छा महसूस होगा, बल्कि वनस्पति और वास बहाली से स्थानीय जैव विविधता में भी सुधार होगा।
कई जमीनी स्तर की और समुदाय-संचालित परियोजनाएं जमीनी स्तर पर बदलाव ला रही हैं। इनमें शहरी पुनर्स्थापना कार्य, जैसे मेलबर्न में मेर्री क्रीक पुनर्स्थापना, से लेकर वन प्रबंधन परियोजनाएं, जैसे कि गिप्सलैंड, विक्टोरिया में टारविन नदी वन शामिल हैं। स्थानीय बनें और इसमें शामिल हों।
5.अपेक्षाओं को समायोजित करें और जिम्मेदारी स्वीकार करें
धनी देशों (जैसे ऑस्ट्रेलिया) में लोगों के पास सबसे बड़े पर्यावरणीय पदचिह्न और अनुकूलन की सबसे अधिक क्षमता है। उन्हें बदलाव का नेतृत्व करना होगा।
यह प्रक्रिया मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बदलाव की जिम्मेदारी लेने से शुरू होती है। इसमें हम कैसे और कहां रहते हैं, इसके बारे में हमारी अपेक्षाओं को समायोजित करना शामिल है। छोटे परिवर्तन भी बहुत विशाल हो जाते हैं जब लाखों लोगों द्वारा इसे दोहराया जाता है।
(कन्वरसेशन)
संतोष माधव
माधव