फसल पद्धति में बदलाव लाकर भारत में किसानों की आय में काफी वृद्धि की जा सकती है : सामाजिक कार्यकर्ता

फसल पद्धति में बदलाव लाकर भारत में किसानों की आय में काफी वृद्धि की जा सकती है : सामाजिक कार्यकर्ता

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  • Publish Date - June 20, 2024 / 05:38 PM IST,
    Updated On - June 20, 2024 / 05:38 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 20 जून (भाषा) भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता मयंक गांधी का कहना है कि भारत में फसल पद्धति में बदलाव कर एवं अनाज की जगह फलों की खेती करने से किसानों की आय में काफी वृद्धि की जा सकती है।

मयंक गांधी गैर-सरकारी संगठन ग्लोबल विकास ट्रस्ट के संस्थापक हैं, जिसका मकसद महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और मध्य प्रदेश के सूखा प्रभावित गांवों में किसानों की न्यूनतम आय को औसत 10,000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर एक लाख रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष करना है।

उन्होंने यहां ‘पीटीआई’ से कहा, ‘भारत के नीति आयोग का कहना है कि 2030 तक आपूर्ति-मांग में 42 प्रतिशत का अंतर होगा। हमें महसूस हुआ कि फसलों की पद्धति में अनाज की जगह फलों की खेती से किसानों की आय में काफी वृद्धि की जा सकती है। इसलिए, हम फसल पद्धति में बदलाव ला रहे हैं, किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, उन्हें फसल बेचने में मदद कर रहे हैं।’

मयंक गांधी उद्योगपति रवि झुनझुनवाला के साथ न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी और सैन फ्रांसिस्को के तीन शहरों की यात्रा पर हैं। वे भारत में अपनी परियोजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यहां भारतीय अमेरिकियों से मिल रहे हैं। गांधी का कहना है कि यह देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में किसानों की आय को कई गुना बढ़ाकर उनकी मदद कर रहा है।

गांधी ने कहा कि उनका मिशन किसानों की आय में वृद्धि लाना है। उन्होंने दावा किया, ‘आमतौर पर, किसान जिस प्रकार की गैर-लाभकारी फसलें उगा रहे हैं, मैंने सोचा कि अगर हम इसे बदल सकते हैं तो किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। और हम ऐसा करने में सफल रहे हैं। आय 10 गुना तक बढ़ गई है। 38,700 रुपये प्रति वर्ष की आय अब 3,93,000 रुपये हो गई है।’

उन्होंने कहा, ‘…देश के 65 प्रतिशत किसान हैं, अगर हम उनकी आय को 10 गुना बढ़ा दें, तो देश की अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ेगी।’’

गांधी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के अलावा पर्यावरण मूु सुधार के लिए, ‘हमने पांच करोड़ पेड़ लगाए हैं। एक बार जब हम पेड़ लगाएंगे, तो इससे उनकी आय बढ़ेगी। मैं हमेशा कहता रहता हूं कि जलवायु संकट से लड़ने का सबसे आसान, सस्ता और सबसे तेज़ तरीका है, बड़े पैमाने पर पेड़ लगाना।’

उन्होंने कहा कि उनके काम के फलस्वरूप महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि यह समूह अब मध्य प्रदेश में भी काम कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘अभी हम महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में काम कर रहे हैं। हमने 27 क्लस्टर (क्षेत्र) बनाए हैं, जहां हम काम करते हैं…हमारे पास पूरे देश में जाने की क्षमता नहीं है।’

भाषा अविनाश माधव

माधव