मलेशिया में चुनावी गतिरोध के समाधान को लेकर सुल्तान पर नजरें टिकीं

मलेशिया में चुनावी गतिरोध के समाधान को लेकर सुल्तान पर नजरें टिकीं

मलेशिया में चुनावी गतिरोध के समाधान को लेकर सुल्तान पर नजरें टिकीं
Modified Date: November 29, 2022 / 08:20 pm IST
Published Date: November 22, 2022 10:02 pm IST

कुआलालंपुर, 22 नवंबर (एपी) मलेशिया में चुनावी अनिश्चितता मंगलवार को तब और गहरा गई जब एक राजनीतिक गुट ने प्रधानमंत्री के रूप में सुधारवादी नेता अनवर इब्राहिम या प्रतिद्वंद्वी मलय राष्ट्रवादी नेता मुहिद्दीन यासीन में से किसी का भी समर्थन करने से इनकार कर दिया। इस गतिरोध के कारण नजरें अब देश के सुल्तान शाह पर टिक गई हैं, जिन्होंने दोनों नेताओं को गतिरोध दूर करने के लिए तलब किया।

तीन दिन पहले मलेशिया में हुए चुनाव में खंडित जनादेश मिला और किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

शनिवार को हुए चुनाव में अनवर के पाकातन हरपन (उम्मीदों का गठबंधन) को सबसे अधिक 83 संसदीय सीट मिली हैं, लेकिन बहुमत के लिए 112 सीट की जरूरत है।

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पूर्व प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन की मलय केंद्रित पेरिकतन नेशनल (राष्ट्रीय गठबंधन) को 72 सीट पर जीत मिली है।

दोनों प्रतिद्वंद्वी दलों को बहुमत के लिए यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) के समर्थन की जरूरत है, जिसके पास 30 सीट है।

लेकिन यूएमएनओ के नेशनल फ्रंट गठबंधन ने मंगलवार को सरकार बनाने के लिए दोनों में से किसी को भी समर्थन नहीं देने और विपक्ष में बैठने का फैसला किया।

पूर्व में मुहिद्दीन का समर्थन कर चुके बोर्नियो द्वीप के एक प्रभावशाली गुट ने कहा है कि वह अपना फैसला शाह के निर्णय पर छोड़ेगा।

मलेशिया के सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह ने गतिरोध को समाप्त करने के लिये अनवर और मुहिद्दीन दोनों को शाही महल में बुलाया। इस संबंध में सुल्तान की भूमिका बहुत हद तक केवल औपचारिक है और वह उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप नियुक्त करते हैं, जिसके बारे में वह समझते हैं कि उसके पास बहुमत है।

शाही महल के बाहर अनवर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि सुल्तान अब्दुल्ला ने मुलाकात के दौरान एक स्थायी और समावेशी सरकार के गठन की इच्छा जताई।

मुहिद्दीन गुट में एक कट्टरपंथी इस्लामी दल शामिल है, जिसके सत्ता में आने से बहुजातीय देश में नस्ली विभाजन और गहरा कर सकता है।

पैन मलेशियन इस्लामिक पार्टी 49 सीट के साथ सबसे बड़ी विजेता है और इसकी सीट वर्ष 2018 के मुकाबले दोगुनी हो गई है। पीएएस के रूप में प्रसिद्ध यह पार्टी इस्लामिक शरिया कानून का समर्थन करती है और तीन राज्यों में फिलहाल पीएएस की सरकार है। पीएएस संसद में सबसे बड़ी पार्टी है।

एपी संतोष दिलीप

दिलीप


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