विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की

विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की

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  • Publish Date - September 26, 2024 / 10:34 PM IST,
    Updated On - September 26, 2024 / 10:34 PM IST

(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क, 26 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को यहां अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।

उनकी यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण सम्मेलन के इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करने के कुछ ही दिन बाद हुई है।

जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज दोपहर यूएनजीए-79 में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। हमारे द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।”

रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लावरोव और जयशंकर ने द्विपक्षीय सहयोग एजेंडे के प्रमुख मामलों के साथ-साथ मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भी चर्चा की, जिसमें कज़ान में आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारी, यूक्रेन समझौता, साथ ही इस क्षेत्र में नाटो को लाने के पश्चिमी प्रयासों के संबंध में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति शामिल है।

उन्होंने प्रमुख बहुपक्षीय प्रारूपों के अंतर्गत रूस और भारत के बीच समन्वय जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।

पिछले हफ्ते मोदी और जेलेंस्की के बीच हुई मुलाकात तीन महीने से भी कम समय में दोनों नेताओं के बीच तीसरी मुलाकात थी। मोदी ने पिछले महीने कीव में यूक्रेनी नेता से मुलाकात की थी। इससे पहले जुलाई में मॉस्को में मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।

जून में मोदी ने इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी।

बुधवार को शहर में एशिया सोसाइटी में बोलते हुए जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध विवादों को सुलझाने का तरीका नहीं है।

भारत इस विवाद को सुलझाने में क्या मदद करने जा रहा है, इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, “हमें लगता है कि किसी बिंदु पर बातचीत होगी, और ऐसी बातचीत में स्पष्ट रूप से सभी पक्षों को शामिल करना होगा। यह एकतरफा बातचीत नहीं हो सकती।”

उन्होंने कहा, “और उन आकलनों के आधार पर, हम मास्को और कीव तथा अन्य स्थानों पर रूसी सरकार और यूक्रेनी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं, ताकि यह देखा जा सके कि क्या हम ऐसा कुछ कर सकते हैं, जिससे संघर्ष का अंत शीघ्र हो सके और उनके बीच किसी प्रकार की गंभीर बातचीत शुरू हो सके।”

भाषा प्रशांत वैभव

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