किगाली (रवांडा), 30 सितंबर (एपी) रवांडा का कहना है कि इबोला जैसे और अत्यधिक संक्रामक ‘मारबर्ग वायरस’ से अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
रवांडा का यह बयान देश में घातक रक्तस्रावी ज्वर के प्रकोप की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद आया है। इस ज्वर का कोई अधिकृत अधिकृत टीका या उपचार नहीं है।
इबोला की तरह ‘मारबर्ग वायरस’ भी फल खाने वाले चमगादड़ों से उत्पन्न होता है और संक्रमित व्यक्तियों के शारीरिक तरल पदार्थ या दूषित बिस्तर की चादरों जैसी सतहों के साथ संपर्क के जरिये लोगों के बीच फैलता है। अगर मारबर्ग बीमारी से पीड़ित लोगों का उपचार नहीं कराया गया तो इससे संक्रमित 88 प्रतिशत लोगों के लिए यह घातक हो सकता है।
मध्य अफ्रीका के देश रवांडा ने शुक्रवार को प्रकोप की घोषणा की तथा एक दिन बाद पहली छह मौतें दर्ज की गईं।
स्वास्थ्य मंत्री सबिन सांजीमाना ने रविवार रात कहा कि अब तक 26 मामलों की पुष्टि हो चुकी है तथा आठ संक्रमित रोगियों की मौत हो चुकी है।
लोगों से अपील की गई है कि वे संक्रमण फैलने से रोकने के लिए शारीरिक स्पर्श से बचें। वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए करीब 300 लोगों की भी पहचान कर ली गई है और उनमें से कुछ को पृथकवास केंद्रों में रखा गया है।
देश के 30 में से छह जिलों में अधिकांश प्रभावित स्वास्थ्यकर्मी हैं।
सांजीमाना ने पत्रकारों को बताया, ‘मारबर्ग एक दुर्लभ बीमारी है’।
उन्होंने कहा, ‘हम इसका प्रसार रोकने में मदद के लिए संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने का काम और परीक्षण तेज कर रहे हैं।’
मंत्री ने कहा कि बीमारी का स्रोत अभी तक पता नहीं चल पाया है।
उन्होंने कहा कि वायरस से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने में तीन दिन से लेकर तीन सप्ताह तक का समय लग सकता है।
इसके लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, उल्टी और कुछ मामलों में अत्यधिक रक्त हानि के कारण मृत्यु भी शामिल है।
एपी
शुभम सुरेश
सुरेश