Education emergency imposed in Pakistan: इस्लामाबाद: पाकिस्तान से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। बताया जा रहा हैं कि देश के पीएम शाहबाज शरीफ ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। हालांकि यह आपातकाल शिक्षा से जुड़ा है ना कि राजनीति या सत्ता से। इस तरह इसे शिक्षा आपातकाल यानी एजुकेशन इमरजेंसी कहा जा रहा हैं।
मीडिया के मुताबिक पीएम शहबाज शरीफ ने देश में स्कूलों से वंचित 2.60 करोड़ बच्चों को शिक्षित करने के मकसद से ‘शिक्षा आपातकाल’ की घोषणा की है। सरकारी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस कदम की घोषणा की और निजी क्षेत्र तथा नागरिक संगठनों से सरकार का सहयोग करने की अपील की है।
Education emergency imposed in Pakistan: इस मौके पर शाहबाज शरीफ ने कहा, ‘‘हमने पूरे देश में शैक्षिक आपातकाल घोषित कर दिया है, छात्रों के लिए नामांकन अभियान शुरू किया है और स्कूलों में बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन शुरू किया गया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि साक्षरता एक मौलिक मानवीय और संवैधानिक अधिकार है जो हमारे देश के भविष्य की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि साक्षरता केवल पढ़ने और लिखने की क्षमता नहीं है, बल्कि यह ‘‘सशक्तीकरण, आर्थिक अवसरों और समाज में सक्रिय भागीदारी का प्रवेश द्वार’’ है।
#Pakistan declared an education emergency on International Literacy Day to educate around 26 million out-of-school children in the country.https://t.co/LXJYb7vMaf
— The Hindu (@the_hindu) September 8, 2024
बता दें कि, पड़ोसी देश पाकिस्तान में आर्थिक समस्या के साथ-साथ शिक्षा का संकट भी गहराने लगा है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 5 से 16 साल की उम्र के तकरीबन 2.53 करोड़ बच्चों ने स्कूलों में दाखिला नहीं लिया है। बताया जा रहा है, इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात ग्रामीण इलाकों से आ रहे लोगों का है। ‘द मिसिंग थर्ड ऑफ पाकिस्तान’ की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। बता दें कि पाक अलांयस फॉर मैथ्स एंड साइंस ने 2023 के जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट सामने आई है।
Education emergency imposed in Pakistan: रिपोर्ट में पाकिस्तान की एजुकेशन सिस्टम के भीतर एक महत्वपूर्ण मुद्दे का खुलासा किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ज्यादातर पाकिस्तानी बच्चे, 74 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। इन क्षेत्रों में नॉमिनेशन को बढ़ावा देने के प्रयासों को बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में स्कूलों तक सीमित पहुंच न होना, गरीबी जैसी समस्या बच्चों के लिए बाधा बन रही है।