मांसाहार छोड़कर पौधों से मिलने वाला हरा भरा खाइए, कोरोना जैसी महामारी से बचे रहेंगे — एक अध्ययन

मांसाहार छोड़कर पौधों से मिलने वाला हरा भरा खाइए, कोरोना जैसी महामारी से बचे रहेंगे — एक अध्ययन

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  • Publish Date - June 2, 2021 / 07:18 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

कर्टिस बॉयर, सास्काचेवान विश्वविद्यालय

सास्काटून (कनाडा), दो जून ( कन्वरसेशन) कोविड-19, सार्स, बोवाइन, स्वाइन फ्लू और एवियन फ्लू जैसे वायरस सभी में कुछ न कुछ समान है और वह समानता यह है कि यह सभी जानवरों से आते हैं, जिन्हें वैज्ञानिकों ने पशुजनित रोग के रूप में वर्णित किया है।

हालांकि, ये रोग वास्तव में “जानवरों से नहीं आते हैं।” ऐसा भी नहीं है कि इंसानों में बीमारी फैलाने के लिए जानवर कोई साजिश करते हैं और कोविड-19 जैसी बीमारियों को हमारे घरों के पिछवाड़े फेंक देते हैं। दरअसल जब हम कहते हैं कि यह महामारी ‘‘जानवरों से आती है,’’ तो इसका मतलब होता है कि ये बीमारियाँ समाज द्वारा जानवरों को पालने, काटने और खाने के तरीके से आती हैं।

ऐसे में अगली महामारी से बचने के लिए एक व्यापक नीतिगत रणनीति में पशु उत्पादों की मांग को कम करना शामिल होना चाहिए। हालांकि यहां एक प्रभावी दृष्टिकोण का मतलब यह नहीं है कि सरकार लोगों को बताए कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

कई कनाडाई पहले से ही पेड़ पौधों से मिलने वाले आहार के लाभों से अवगत है और खान पान की आदतों में परिवर्तन की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों का समर्थन करना सरकारी नीति के लिए एक प्रभावी दृष्टिकोण हो सकता है।

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पशु और खाद्य उत्पादन

हकीकत यह है कि महामारी की बढ़ती सूची पशुओं से शुरू होती है और कृषि क्षेत्र के स्वतंत्र वैज्ञानिकों के एक छोटे लेकिन बढ़ते समूह के लिए यह कोई नई बात नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने भी हाल ही में इसी तरह की चिंता व्यक्त की थी।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट, अगली महामारी से बचाव: पशुजनित रोग और संचरण की श्रृंखला कैसे तोड़ें में कुछ ऐसी चीजों का जिक्र किया है जो स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिए खाद्य उत्पादन से जुड़ी हैं।

कुछ नीतिगत विकल्पों में पशुजनित रोगों के पर्यावरणीय आयामों की वैज्ञानिक जांच का विस्तार करना और मजबूत जैव सुरक्षा उपायों को विकसित करना और लागू करना शामिल है। यह उन नीतियों का आह्वान करता है जो पशु स्वास्थ्य (वन्यजीव स्वास्थ्य सेवाओं सहित) को मजबूत करती हैं और खाद्य उत्पादन की निगरानी और विनियमन की क्षमता में वृद्धि करती हैं।

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि राज्य पशु प्रोटीन की मांग को कम करने के तरीके खोजें। मांस की मांग को कम करना ऐसा नहीं है जो हम एक संभावित नीति विकल्प के रूप में अकसर सुनते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शायद लोग वर्तमान महामारी को पश्चिमी आहार या कृषि क्षेत्र से नहीं जोड़ रहे।

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महामारी की उत्पत्ति

उल्टा लटकता हुआ चमगादड़

अगस्त 2020 में थाईलैंड के साई योक नेशनल पार्क में कोरोनोवायरस अनुसंधान के लिए रक्त का नमूना लेने के बाद एक शोधकर्ता ने एक चमगादड़ को छोड़ दिया। कोविड-19 के शुरुआती मामले चीन के बाजारों से जुड़े थे जहां जंगली जानवर बेचे जाते थे। पैंगोलिन और चमगादड़ को संक्रमण के संभावित स्रोतों के रूप में पहचाना गया है, इनमें से कोई भी औसत वैश्विक उपभोक्ता की खरीदारी सूची में नहीं है। हालाँकि, इस महामारी की जड़ें अधिक जटिल हैं।

पहले के कई वायरस पशुपालन औद्योगिक उत्पादन श्रृंखला से उत्पन्न हुए हैं।

1980 के दशक में ब्रिटेन के मवेशी उत्पादन में बोवाइन स्पॉन्गॉर्मॉर्म एन्सेफेलोपैथी (पागल गाय रोग) और इसके मानव समकक्ष प्रकार क्रूट्ज़फेल्ड-जेकब रोग का प्रकोप देखा जाने लगा।

1997 में, बर्ड फ्लू (एच5एन1) का चीन के चिकन कारखानों में पता चला था।

2009 में, स्वाइन फ्लू (एच1एन1) अमेरिका में मैक्सिको और उत्तरी कैरोलिना में सुअर पालने के फार्म में उत्पन्न हुआ था।

हाल ही में, डेनमार्क के खेतों में कोविड-19 का एक संभावित नया स्ट्रेन पाया गया है, जहां फर कोट के लिए ऊदबिलाव पाले जाते हैं।

यह स्पष्ट है कि इन महामारियों की उत्पत्ति कुछ देशों या कुछ गतिविधियों, जैसे ‘‘पशु बाजारों’’ तक सीमित नहीं है। स्वीडिश मुख्य चिकित्सक और संक्रामक रोगों के प्रोफेसर ब्योर्न ऑलसेन सहित कुछ शोधकर्ताओं के लिए, मांस और डेयरी की बढ़ती मांग को रोकना महामारी के लिए हमारे जोखिम को कम करने का एक आवश्यक हिस्सा है।

ऑलसेन अपनी सरकार की कोविड-19 प्रतिक्रिया के शुरुआती आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। वह अब एक और अग्रिम चेतावनी के लिए चर्चा में हैं, जिसका जिक्र वह पिछले दस बरस से अपनी किताबों और लेखों में कर रहे हैं। हाल ही में स्वीडिश में एक साक्षात्कार में, ओल्सन ने बताया कि महामारी के सभी वायरस वहां उत्पन्न हुए हैं जहां जानवर और इंसान मिलते हैं, और अरबों जानवरों को भोजन के लिए पालने के प्रभाव तो होंगे।

इस सब के विपरीत विचार करें: मानव इतिहास में एक भी महामारी पौधों की वजह से नहीं आई है।

नियामक और निगरानी क्षमता को मजबूत करना प्रभावी नीति निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जब समाज भोजन के पशु स्रोतों को पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों से बदल देते हैं, तो वे भविष्य की महामारियों के जोखिम को भी कम करते हैं। ऑलसेन को चिंता है कि पशु प्रोटीन की बढ़ती मांग और महामारी के बीच संबंध पर राजनेताओं का पर्याप्त ध्यान नहीं जा रहा है।

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नीति के रूप में पौधों से मिलने वाले आहार

राजनीतिज्ञों के एक व्यवहार्य नीति विकल्प के रूप में पौधों से मिलने वाले आहार को न देख पाने का कारण यह हो सकता है कि यह लोगों के व्यवहार को बदलने पर निर्भर करता है, और कुछ लोग तर्क देंगे कि सरकारों को आहार विकल्पों को लागू करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। फिर भी यह सोचने का एक अच्छा कारण है कि लोग पहले से ही पौधों से मिलने वाले आहार की तरफ मुड़ रहे हैं।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया के 30 प्रतिशत लोग जलवायु नीति के रूप में पौधों से मिलने वाले आहार का समर्थन करते हैं। इस संबंध में कनाडाई अपवाद नहीं हैं। वास्तव में, कनाडा की कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत पहले से ही शाकाहारी है, डलहौजी विश्वविद्यालय में खाद्य वितरण और नीति के प्रोफेसर सिल्वेन चार्लेबोइस के नेतृत्व में 2018 के किए गए एक अध्ययन के नतीजे भी कुछ ऐसा ही कहते हैं। पौधों पर आधारित आहार खाने की कोशिश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। चार्लेबोइस ने एक साक्षात्कार में कहा :

‘‘2018 में हमने अनुमान लगाया था कि 64 लाख कनाडाई पहले से ही एक ऐसे आहार का सेवन करते हैं जो मांस को आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्रतिबंधित करता है … लेकिन अब हमने इस संख्या को संशोधित करते हुए एक करोड़ 2 लाख पाया है। चीजें वास्तव में तेजी से बदल रही हैं, पहले से कहीं ज्यादा तेजी से।’’

आहार संबंधी प्राथमिकताओं में पहले से ही हो रहे इन परिवर्तनों को देखते हुए कनाडा सरकार को इस संबंध में अपना मन बना रहे लोगों के सामने आ रही बाधाओं को दूर करने पर विचार करना चाहिए। उनके इस बदलाव का समर्थन करने और पशु उत्पादों में मांग को कम करने के लिए, कनाडा सरकार को पौधों पर आधारित आहार के संबंध में होने वाली किसी भी असुविधा को कम करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए।