क्या तोता पालन से वन्यजीव प्रजातियों की सुरक्षा होती है? शोधकर्ताओं ने साक्ष्य की पड़ताल की

क्या तोता पालन से वन्यजीव प्रजातियों की सुरक्षा होती है? शोधकर्ताओं ने साक्ष्य की पड़ताल की

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  • Publish Date - October 14, 2024 / 02:13 PM IST,
    Updated On - October 14, 2024 / 02:13 PM IST

(नील डीक्रूज, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और रोवन ओ. मार्टिन, केप टाउन विश्वविद्यालय)

ऑक्सफोर्ड/केप टाउन, 14 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) हजारों वर्षों से लोगों और तोतों का साथ रहा है। रंग-बिरंगे इन खूबसूरत पक्षियों को दुनियाभर में लोग अपने साथी के रूप में और मनोरंजन के लिए पालते हैं।

विश्वभर में आज तोतों की लगभग 400 प्रजातियां हैं और इनका करीब एक तिहाई हिस्सा विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहा है। इनमें से विलुप्तप्राय अफ्रीकी ग्रे तोता भी शामिल है। आम तौर पर यह पक्षी पश्चिम एवं मध्य अफ्रीका के कई हिस्सों में पाया जाता था लेकिन धीरे धीरे इनकी संख्या में कमी आती गई। घाना में 1990 के दशक की शुरुआत से इसकी आबादी 99 प्रतिशत से घटकर 90 प्रतिशत तक हो गई है।

हाल के वर्षों में बड़े व्यावसायिक फार्म उभरे हैं, जिनमें पालतू पक्षियों के रूप में बिक्री के लिए तोतों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

दक्षिण अफ्रीका अब तोतों का दुनिया में अग्रणी निर्यातक है। देश ने 2020 से मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया के देशों में 120 से अधिक प्रजातियों के दस लाख से अधिक तोतों का निर्यात किया है।

फिर भी उद्योग के तीव्र विकास के बावजूद इसके विस्तार को रोकने के लिए मौजूदा कानून के प्रभाव को लेकर चिंताएं हैं।

वन्यजीव व्यापार और तोतों पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने में दशकों बिताने वाले शोधकर्ताओं के रूप में हमने मौजूदा मुद्रित सामग्री की गहन समीक्षा की ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि तोता पालन जंगली तोतों के संरक्षण के प्रयासों को कैसे प्रभावित करता है।

हमारे शोध से पता चला कि तोता पालन से संरक्षण प्रयासों पर किस तरह असर पड़ सकता है। हम तोतों के अवैध और अस्थायी व्यापार को रोकने के लिए आगे के तरीके सुझाते हैं।

वाणिज्यिक तोता पालन क्या है?

औद्योगिक तोता फार्म में हजारों तोतों को कताराबद्ध पिंजरों में रखा जा सकता है, ताकि उन्हें बड़े पैमाने पर निर्यात बाजार में बेचा जा सके। बुडगेरिगर और कॉकटिल जैसे कई तोते आम हैं। लेकिन ग्रे तोते, मिलिट्री मैकॉ और येलो-क्रेस्टेड कॉकटू जैसी खतरे में मौजूद विलुप्तप्राय प्रजातियों को भी पाला और बेचा जा रहा है।

वाणिज्यिक बंदी प्रजनन के पक्षधर लोग तर्क देते हैं कि बिक्री के लिए तोते का प्रजनन करने से जंगली आबादी पर दबाव कम हो सकता है। एक और तर्क यह है कि बिक्री के लिए तोते का प्रजनन करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। हालांकि, स्थिति उतनी सरल नहीं है जितनी दिखती है।

हमारा शोध

हमने सभी उपलब्ध वैज्ञानिक पत्रों, गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट और नीति दस्तावेजों की समीक्षा की।

हमने तोते की 16 संकटग्रस्त प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया जिनका खूब व्यापार होता है या जिनकी संख्या में गिरावट आई है क्योंकि उनका व्यापार अस्थिर था। इनमें से दो प्रजातियां – ग्रे तोता और ब्लैक-चीक्ड लवबर्ड, अफ्रीका से आती हैं।

हमने यह जानने के लिए पांच मानदंडों का प्रयोग किया कि क्या तोता पालन को एक सफल संरक्षण उपाय के रूप में लागू किया जा सकता है।

वरीयता : कैद में रखकर पाले गए तोते जंगली तोतों का उपयुक्त विकल्प होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता मांग जंगली तोतों के लिए बाजार बनाएगी।

आपूर्ति : प्रजनन कार्यों को अवैध व्यापार को बढ़ावा दिए बिना उपभोक्ता मांग को पूरा करना चाहिए। जंगली आबादी पर अनजाने में बढ़ते दबाव से बचने के लिए बाजार के रुझानों को पूरी तरह से समझना महत्वपूर्ण है।

लागत : कैद में रखकर पाले गए तोते जंगली तोतों की तुलना में ज्यादा सस्ते होने चाहिए। अगर जंगली पक्षी सस्ते हैं, तो लोग उन्हें अवैध रूप से खरीदना जारी रख सकते हैं।

पुनःभंडारण : जंगल से और अधिक तोते लाने की बजाय इन पक्षियों का प्रजनन कार्य अपने स्तर पर बनाए रखना चाहिए। उन्हें उपभोक्ता मांग को पूरा करने वाली दर पर तोते का सफलतापूर्वक प्रजनन करने में भी सक्षम होना चाहिए।

तोते की तस्करी : विनियामक प्रणालियों को बंदी-पालित तोतों के रूप में जंगली तोतों के अवैध व्यापार को प्रभावी ढंग से रोकना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कानून प्रवर्तन की आवश्यकता है कि वैध व्यापार आपराधिक गतिविधि के लिए आवरण के रूप में कार्य न करे।

ज्ञान की कमी

विश्व भर में कितने संकटग्रस्त तोतों का सफलतापूर्वक प्रजनन किया जा रहा है तथा पालतू पक्षियों के रूप में इनकी मांग किस प्रकार बढ़ रही है, इस बारे में जानकारी का अभाव है।

हमें यह भी बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है कि एक प्रजाति के व्यापार से दूसरी प्रजातियों की मांग कैसे बढ़ सकती है।

हमें यह भी जानने की आवश्यकता है कि क्या और कैसे तोता फार्म अवैध गतिविधियों (जैसे पकड़े गए जंगली तोतों को बंदी नस्ल के रूप में बेचना) को रोकने के लिए सख्त उपाय लागू करने के बाद भी वित्तीय रूप से लाभदायक बने रह सकते हैं।

संबद्ध जोखिम

अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया (अमेरिका और एशिया के बीच के क्षेत्र को संदर्भित करता, प्रशांत महासागर के अधिकांश भाग में फैले द्वीपों का सामूहिक नाम) के कई देश लुप्तप्राय तोते की प्रजातियों का पालन करके पैसा कमाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर कुछ और आम तोतों के लिए नियमों में ढील दी जाती है, तो इससे उन दुर्लभ प्रजातियों की मांग बढ़ सकती है जो पहले से ही विलुप्त होने के कगार पर हैं।

उदाहरण के लिए, हालिया शोध से पता चलता है कि सिंगापुर और फिलीपीन में उद्यमी अत्यधिक लुप्तप्राय तोते जैसे पीली कलगी वाले कॉकटू, फिलीपीन कॉकटू और रेड-ब्लू लोरी का पालन करते हैं।

कभी तोतों का बड़ा निर्यातक रहा चीन भी संकटग्रस्त तोतों सहित वन्यजीवों के पालन के कानून में ढील देने की दिशा में कदम उठा रहा है।

क्या इसका कोई बेहतर तरीका है?

तोता पालन को विनियमित करना एक जटिल मुद्दा है जिसके लिए बहुत सावधानीपूर्वक और जानकारीपरक विचार की आवश्यकता है ताकि दुनिया की सबसे अधिक खतरे में पड़ी कुछ प्रजातियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

ऐसे अन्य प्रभावी तरीके भी हैं जिनमें बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक बंदी प्रजनन से जुड़े जोखिम नहीं होते।

द कन्वरसेशन सुरभि मनीषा

मनीषा