कोविड-19 : नये सुबूत कम हैं, फिर भी लैब लीक की कहानी क्यों दोहराई जा रही है

कोविड-19 : नये सुबूत कम हैं, फिर भी लैब लीक की कहानी क्यों दोहराई जा रही है

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  • Publish Date - June 22, 2021 / 01:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

पीटर नाइट, मांचेस्टर विश्वविद्यालय

मांचेस्टर (ब्रिटेन), 22 जून (द कन्वरसेशन) राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को इस बात की गहराई से जांच करने का आदेश दिया है कि क्या कोरोनोवायरस पशु-से-मानव संचरण से स्वाभाविक रूप से पैदा हुआ या वुहान वायरोलॉजी लैब से गलती से लीक हो गया।

लैब-रिसाव सिद्धांत पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति ट्रम्प और कुछ अन्य लोगों ने पेश किया था। उस समय इसे नस्लवादी नीयत के साथ रची गई एक निराधार साजिश बताकर खारिज कर दिया गया था। चीन के समर्थन में प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान मार्च 2020 में लैंसेट में प्रकाशित किया गया था और वायरस की उत्पत्ति के बारे में निराधार अटकलों के प्रति आगाह किया था।

लेकिन अब यह सुझाव कि वायरस लैब से लीक हुआ था एक बार फिर चर्चा में है। कुछ लोग सोच रहे हैं कि क्या मीडिया इस संभावना को गंभीरता से लेने में विफल रहा। इसके अलावा, ट्रम्प और उनके समर्थकों ने तर्क दिया कि उनकी बात सही थी और उसे इस तरह नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए था।

अब सवाल यह पैदा होता है कि लंबे समय से एक साजिश के सिद्धांत के रूप में खारिज की गई एक परिकल्पना दोबारा कैसे सामने आ गई है?

हमारे शोध के हिस्से के रूप में, मैंने और मेरे सहयोगियों ने महामारी के प्रसार में षड्यंत्र के सिद्धांतों पर पिछले 18 महीनों में ऑनलाइन काम किया है। यह सिद्धांत कि वायरस एक प्रयोगशाला में बनाया गया था, इसके सबसे शुरुआती और सबसे लोकप्रिय कारणों में से एक था। सर्वेक्षणों में पाया गया कि लगभग 30% अमेरिकियों ने कुछ बिंदुओं पर इसे माना। हालांकि इस बात के पर्याप्त सुबूत हैं कि वायरस में जेनेटिक इंजीनियरिंग के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं थे।

लेकिन महामारी की शुरुआत में, मीडिया ने इन अटकलों के बीच अंतर नहीं किया कि सार्स-कोव-2 को चीन द्वारा एक जैव-हथियार के रूप में बनाया गया था (और फिर गलती से या जानबूझकर लीक किया गया) एक और बात कही गई कि इसकी उत्पत्ति तो प्राकृतिक रूप से हुई, लेकिन अध्ययन के दौरान गलती से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से यह लीक हो गया। नतीजतन, सामान्य तौर पर लैब-रिसाव के दावों को अत्यधिक संदिग्ध नजर से देखा जाने लगा।

इसके अतिरिक्त, लैब-रिसाव का दावा बहुत जल्दी अन्य – अक्सर विरोधाभासी – सिद्धांतों के साथ उलझ गया: कि कोविड-19 5जी विकिरण के कारण हुआ, या बिल गेट्स लोगों में माइक्रोचिप लगाने के लिए टीकों का उपयोग कर रहे थे। ऑनलाइन चर्चाओं में, सिद्धांतों को अक्सर इस तरह से घालमेल किया जाता है कि टिप्पणीकारों का इन्हें खारिज कर देना समझ में आता है।

हमें उस राजनीतिक संदर्भ पर भी विचार करने की आवश्यकता है जिसमें इस सिद्धांत का निर्माण और प्रसार किया गया था। सामान्य लैब-रिसाव सिद्धांत, इस संकेत के साथ कि वायरस को एक जैव हथियार के रूप में डिजाइन किया गया हो सकता है, ट्रम्प, अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन, फॉक्स न्यूज के टकर कार्लसन और स्टीव बैनन द्वारा प्रचारित किया गया था। यह सभी अमेरिका के संकटों के लिए बाहर और भीतर के दुश्मनों को दोषी ठहराने के उद्देश्य से साजिश की बयानबाजी का इस्तेमाल पहले भी कर चुके हैं।

उदाहरण के लिए, ट्रम्प ने ग्लोबल वार्मिंग को अमेरिका पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने के लिए चीन द्वारा फैलाया गया एक धोखा करार दिया था। और अप्रैल 2020 में एक प्रेस ब्रीफिंग में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने वर्गीकृत जानकारी देखी है जो यह दर्शाती है कि वायरस वुहान संस्थान से आया था। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सबूत क्या हैं, तो उन्होंने कहा: ‘‘मुझे आपको यह बताने की अनुमति नहीं है।’’

सबूत के बिना बड़ी साजिश की तरफ इशारा करना ट्रम्प की एक अदा है। वह राष्ट्रपति थे तो छोटी बातों पर शोर बचाते थे। शायद यही वजह है कि शुरू में लोगों को वायरस के प्रयोगशाला रिसाव के बारे में संदेह था।

नया साल, नया सबूत?

अब प्रश्न यह है कि यह कहानी एक बार फिर चर्चा में क्यों है? नए खुलासे के नाम पर बहुत कुछ नहीं है, लेकिन दो संभावित महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं (जिसका वैनिटी फेयर में एक लंबे लेख में विवरण है) जिन्होंने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। सबसे पहले, नवंबर 2019 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में कई लैब कर्मचारियों के बीमार होने की स्पष्ट रूप से खुफिया रिपोर्टें हैं। अगर यह सच है, तो यह बड़ा सुबूत होगा।

हालांकि, हमें यहां कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है। यह दावा सबसे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक लेख में किया गया था, जो खुफिया अधिकारियों की ऑफ-द-रिकॉर्ड ब्रीफिंग पर आधारित था। याद रहे कि इसी तरह की ब्रीफिंग को आधार बनाकर लिखे गए लेख इराक युद्ध के समय में बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों के अस्तित्व की जानकारी देते दिखाई दिए, जो कभी नहीं मिले। हम यह नहीं कह रहे कि संभावित प्रयोगशाला रिसाव पर खुफिया जानकारी नहीं हो सकती है। लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसे स्रोतों के हवाले से कहीं हमें गलत सूचना तो नहीं दी जा रही है।

दूसरा, यह पता चला कि लैंसेट में मार्च 2020 के बयान के एक प्रमुख आयोजक पीटर दासज़क, जिसने लैब लीक के विचार को खारिज कर दिया था, उसका संबंध वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से था। दासज़क एक शोध संगठन इकोहेल्थ एलायंस के प्रमुख हैं, जिसे वायरस में हेरफेर करने के बारे में संस्थान के साथ काम करने के लिए अमेरिकी सरकार से अनुदान मिला था।

कुछ ने इसे साजिश माना है। फिर भी यह जो खुलासा करता है वह दरअसल एक प्रयोगशाला रिसाव को कवर करने की गुप्त साजिश नहीं है, बल्कि अन्तरराष्ट्रीय शोध वित्त पोषण से जुड़ी जटिल, स्वार्थी और राजनीतिक गड़बड़ी है। संस्थान के साथ काम करने के लिए दासज़क को मिल रहे अनुदान को अप्रैल 2020 में रद्द कर दिया गया था, जिसे बाद में बहाल कर दिया गया। लैंसेट पत्र पर उनके काम को महामारी की शुरूआत में अमेरिका और चीन के बीच मची राजनीतिक खींचतान की कहानी के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।

साजिश के सिद्धांतों की दुनिया में हम बार-बार यही पाते हैं: कि वास्तविकता अक्सर कल्पना की तरह धुंधली होती है। उदाहरण के लिए, कैनेडी की हत्या की जांच ने साजिश के सिद्धांतों को खारिज कर दिया, जिसमें जोर देकर कहा गया कि गोलीबारी एक अकेले बंदूकधारी ने की। हालाँकि, इसके नीचे जो छिपा था, वह शीत युद्ध की जटिल कहानी थी, जिसमें, उदाहरण के लिए, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों (कैनेडी बंधुओं द्वारा आग्रह किया गया) ने फिदेल कास्त्रो पर बार-बार हत्या के प्रयास किए थे।

यदि हम घटनाओं को साजिश या बिना साजिश के देखने पर जोर देते हैं, तो हम उन अधिक गड़बड़ तरीकों को समझने में विफल होंगे जो इतिहास हमें बताता है। इनमें वैश्विक महामारियां शामिल हैं। नतीजतन, हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर सिद्धांत एक बार खारिज कर दिए जाने के बाद, चर्चा के लिए फिर वापस आ जाते हैं।

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