कोरोना- कैसे 2020 में इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया..

कोरोना- कैसे 2020 में इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया..

  •  
  • Publish Date - December 16, 2020 / 10:23 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

वाशिंगटन, 16 दिसम्बर (एपी) चीन के वुहान में लगभग एक वर्ष पहले सामने आया कोरोना वायरस 2020 में दुनियाभर में फैल गया और शायद ही कोई जगह ऐसी बची हो जहां इसने अपना कहर नहीं बरपाया। यह महामारी एक वैश्विक घटना बन गई। हर महाद्वीप पर इसकी तबाही महसूस की गई, लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, लॉकडाउन लगाया गया और इस बीमारी से लाखों लोगों की मौत हुई। इस महामारी से निपटने को लेकर हर देश की अपनी-अपनी कहानी है।

पढ़ें- जब तक प्रधानमंत्री मोदी हैं किसी के माई के लाल में …

ब्राजील में कोविड-19 की कहानी एक ऐसे राष्ट्रपति की कहानी है जिनके लिए महामारी एक बड़ी बात नहीं थी। राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने पृथक-वास में रहने की निंदा की और कहा कि बंद अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा और इससे गरीब प्रभावित होंगे। उन्होंने इसे एक ‘‘मामूली फ्लू’’ बताया और इसके बाद इससे ब्राजील के 70 प्रतिशत लोग बीमार पड़ गये।

पढ़ें- किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने .

चीन में सामान्य जनजीवन फिर से बहाल हो गया था और यह वह देश है जहां एक साल पहले सबसे पहले कोविड-19 का मामला सामने आया था। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिट पार्टी ने इसे काबू में करने का दावा किया। चुनौती नौकरियों की है, अर्थव्यवस्था फिर से आगे बढ़ रही है लेकिन अभी सुधार होना बाकी है। जर्मनी में सुधार होने के बाद कई पाबंदियां हटा ली गई। इस देश में कोरोना वायरस के प्रतिदिन के मामलों में कमी देखी गई।

पढ़ें- 19 दिसंबर को पूरे प्रदेश में ‘विरोध दिवस’ मनायेगी क..

भारत के दुनिया में ऐसे देश के रूप में उभरने की आशंका है जहां कोरोना वायरस के मामलों की संख्या सबसे अधिक रही। लेकिन राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाये जाने के बाद इस महामारी के मामलों की संख्या कम हो गई। हालांकि जब लॉकडाउन की पाबंदियों में छूट दी गई तो मामलों की संख्या फिर बढ़ी और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा।

पढ़ें- तृणमूल कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में करने का प्र…

शुरूआत में ईरानी अधिकारियों ने कोविड-19 को हल्के में लेते हुए संक्रमण से मृतकों की संख्या बढ़ने से इनकार किया, मस्जिदों को बंद करने से मना कर दिया गया। ऐसा तब था लेकिन अब सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पौधा रोपण के लिए दस्ताने पहने हुए थे। फरवरी के अंत में इटली यूरोप में कोविड-19 का केन्द्र बन गया और इस महामारी से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और लोगों की मौत भी हुई।

पढ़ें- किसानों की शिकायतों पर सख्त कार्रवाई, गीदम धान .

जापान में हालांकि इस महामारी का अमेरिका और यूरोप की तरह खतरनाक रूप देखने को नहीं मिला। अगली गर्मियों में ओलंपिक की मेजबानी करने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान में मामलों की संख्या कम रखने के लिए मास्क और सीमा नियंत्रण महत्वपूर्ण है। केन्या में कोविड-19 का असर युवाओं पर पड़ा है। बच्चों को बाल श्रम और वेश्वावृत्ति में जाने को मजबूर होना पड़ा, स्कूलों को 2021 तक बंद करना पड़ा, कर्फ्यू लागू होने के कारण पुलिस की गोलीबारी में एक बच्चे की मौत हो गई।

पढ़ें- 19 दिसंबर को पूरे प्रदेश में ‘विरोध दिवस’ मनायेगी कांग्रेस, कृषि कानून समेत पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस…

मेक्सिको में सरकार ने खुद कम प्रयास करते हुए लोगों को जिम्मेदारी से काम लेने को कहा। इसका परिणाम यह हुआ कि इससे एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। न्यूजीलैंड में सरकार ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया और लगभग सब कुछ बंद कर दिया। यह देश काफी हद तक इस बीमारी पर काबू पाने में सफल रहा लेकिन फिर भी यहां कुछ लोगों की मौत हुई।