मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को एक अन्य मामले में 15 साल कैद की सजा, चार मामलों में पहले ही काट रहे 21 साल की सजा

मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को एक अन्य मामले में 15 साल कैद की सजा, चार मामलों में पहले ही काट रहे 21 साल की सजा

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  • Publish Date - December 24, 2020 / 04:46 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

लाहौर: पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को दहशतगर्दी का वित्तपोषण करने के एक और मामले में बृहस्पतिवार को 15 साल छह माह कैद की सजा सुनाई। लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) ने उस पर दो लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया। सईद (70) को आतंकवाद का वित्तपोषण करने के चार मामलों में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है और उसे 21 साल की सजा हुई है।

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अदालत के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “ बृहस्पतिवार को लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत ने जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद समेत इसके पांच नेताओं को आतंकवाद का वित्तपोषण करने के एक और मामले में साढ़े 15 साल की सजा सुनाई है।“ इन मामलों में उसकी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। उसे लाहौर की कोट लखपत जेल में ‘ वीआईपी प्रोटोकॉल’ देने की भी खबरें आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए सईद पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित किया है। उसे पिछले साल 17 जुलाई को आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

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उसे आतंकवाद रोधी अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के दो मामलों में इस साल फरवरी में 11 साल की सजा सुनाई थी। आतंकवाद रोधी अदालत ने नवंबर में सईद को दहशतगर्दी का वित्तपोषण करने के दो और मामलों में 10 साल की सज़ा सुनाई थी। बृहस्पतिवार को अदालत ने जमात उद दावा के नेता हफीज़ अब्दुल सलाम, जफर इकबाल, जमात के प्रवक्ता याहया मुजाहीद और मोहम्मद अशरफ को दोषी पाया है। अदालत ने हरेक दोषी पर दो-दो लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया है।

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अधिकारी ने बताया कि अदालत ने इस मामले में सईद के करीबी रिश्तेदार अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने की सजा सुनाई है और उस पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अधिकारी के मुताबिक, न्यायाधीश एजाज़ अहमद ने आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) का मामला सुना। गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सईद और अन्य के वकीलों ने गवाहों से जिरह की। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

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उन्होंने बताया कि भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सईद और जमात के अन्य नेताओं को अदालत लाया गया। मीडिया को कार्यवाही कवर करने की इजाज़त नहीं थी। सीटीडी ने जमात के नेताओं के खिलाफ कुल 41 मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 28 पर फैसला आ गया है जबकि अन्य आतंकवाद रोधी अदालतों में लंबित हैं। सईद के खिलाफ अबतक पांच मामलो में फैसला आ चुका है। सईद नीत जमात उद दावा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। लश्कर मुंबई में 2008 में आतंकवादी हमला करने के लिए कसूरवार है जिसमें छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी।

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अमेरिका के वित्त विभाग ने सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया हुआ है। वह दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के तहत भी सूचीबद्ध है। पाकिस्तान में खुले घूम रहे आतंकवादियों और भारत पर हमले करने के लिए पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने वाले दहशतगर्दों पर कार्रवाई करने के लिए देश की सरकार पर दबाव बनाने में आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाले वैश्विक संगठन वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने अहम भूमिका निभाई है। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था और इस्लामाबाद से कहा था कि वे 2019 के अंत तक धन शोधन और आतंकवाद को खत्म करने के लिए कार्रवाई योजना को लागू करे, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण समयसीमा को बढ़ा दिया गया।

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