संपर्क और ढांचागत परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक: भारत

संपर्क और ढांचागत परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक: भारत

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  • Publish Date - July 4, 2024 / 04:44 PM IST,
    Updated On - July 4, 2024 / 04:44 PM IST

(फोटो के साथ)

अस्ताना, चार जुलाई (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि संपर्क व बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है। भारत ने यह बात स्पष्ट तौर पर चीन की ओर इशारा करते हुए कही, जिसका कई देशों के साथ गंभीर क्षेत्रीय विवाद है।

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन साझा करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की विदेश नीति में एससीओ का प्रमुख स्थान है।

उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन महामारी के प्रभाव, जारी संघर्षों, बढ़ते तनाव, विश्वास की कमी और दुनिया भर में विवादित क्षेत्रों की बढ़ती संख्या की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है।

जयशंकर ने कहा, “इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण दबाव डाला है। इन्होंने वैश्वीकरण से उत्पन्न कुछ समस्याओं को और बढ़ा दिया है। हमारी इस वार्ता का उद्देश्य इन घटनाक्रमों के परिणामों को रोकने के लिए साझा आधार तलाशना है।”

उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए मजबूत कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘इससे हमारे समाजों के बीच सहयोग और विश्वास का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है। संपर्क और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है। इसी तरह गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार अधिकार और पारगमन व्यवस्थाएं भी आवश्यक हैं। एससीओ को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।’

चीन ने 65 अरब अमेरिकी डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत पाकिस्तान में विभिन्न बिजली परियोजनाओं और सड़क नेटवर्क में अरबों डॉलर का निवेश किया है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाला सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) की प्रमुख परियोजना है। बीआरआई को चीन द्वारा दुनिया भर में चीनी निवेश से विदेश में अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है।

भारत सीपीईसी का विरोध कर रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजर रहा है।

चीन अपनी बीआरआई परियोजना के माध्यम से एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप के देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भारी मात्रा में धनराशि खर्च कर रहा है। अमेरिका के पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने बीआरआई की कड़ी आलोचना की थी और उसका मानना ​​था कि चीन के ‘वित्तपोषण’ के कारण छोटे देश भारी कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं, जिससे उनकी संप्रभुता खतरे में पड़ रही है।

चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है और दक्षिण चीन सागर (एससीएस) और पूर्वी चीन सागर (ईसीएस) दोनों में ही क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। चीनी नौसेना के जहाज और पनडुब्बियां भी हिंद महासागर में सक्रिय हैं।

जयशंकर ने कहा कि एससीओ एक सिद्धांत आधारित संगठन है। संगठन की सर्वसम्मति इसके सदस्य देशों का दृष्टिकोण तय करती है।

उन्होंने कहा, ‘इस समय, यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हम अपनी विदेश नीतियों के आधार के रूप में संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता, समानता, पारस्परिक लाभ, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, बल का प्रयोग न करने या बल प्रयोग की धमकी न देने के प्रयास करें। हमने राज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों के विपरीत कोई भी कदम न उठाने पर भी सहमति व्यक्त की है।’

भाषा जोहेब नरेश

नरेश