विश्वास है कि बांग्लादेश एवं श्रीलंका के साथ हमारे संबंध सकारात्मक एवं रचनात्मक बने रहेंगे : जयशंकर

विश्वास है कि बांग्लादेश एवं श्रीलंका के साथ हमारे संबंध सकारात्मक एवं रचनात्मक बने रहेंगे : जयशंकर

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  • Publish Date - September 25, 2024 / 03:08 PM IST,
    Updated On - September 25, 2024 / 03:08 PM IST

(योशिता सिंह)

न्यूयॉर्क, 25 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विश्वास जताया है कि पड़ोसी देशों–श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध ‘सकारात्मक’ एवं ‘रचनात्मक’ बने रहेंगे।

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया एवं विश्व’ नामक एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं आपसे अपील करूंगा कि आप इस बारे में निश्चयात्मक न बनें। ऐसा नहीं है कि भारत हर पड़ोसी के हर राजनीतिक कदम को नियंत्रित करना चाह रहा है। इस तरह से काम नहीं होता है। यह सिर्फ़ हमारे लिए ही नहीं है, बल्कि किसी और के लिए भी ऐसा नहीं होता है।’’

वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि भारत ने बांग्लादेश और श्रीलंका को बिना शर्त मदद पहुंचायी है लेकिन वहां सत्ता परिवर्तन के बाद बनी नयी सरकार का रुख भारत के प्रति प्रतिकूल जान पड़ता है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ हर देश की अपनी नीति होती है। विदेश नीति में, आप चीजों को पढ़ने, पूर्वानुमान लगाने और फिर उस पर प्रतिक्रिया करने का प्रयास करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे पड़ोस में, अंतत: परस्पर निर्भरता या परस्पर लाभ की वास्तविकताएं और साथ मिलकर काम करने की हमारी क्षमता हमारे दोनों हितों की पूर्ति करेगी। वे वास्तविकताएं खुद को मुखर करेंगी। यही इतिहास रहा है।’’

जयशंकर ने कहा कि कुछ कुछ साल के अंतराल में, ‘‘हमारे क्षेत्र में कुछ ऐसा होता है और लोग कहते हैं कि वहां किसी तरह की अपरिवर्तनीय स्थिति है। फिर आप देखते हैं कि सुधार खुद ही सामने आने लगते हैं। इसलिए, मैं इसे उसी भावना से लूंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि इन दोनों मामलों में, हमारा संबंध सकारात्मक और रचनात्मक बना रहेगा।’’

मंत्री का यह बयान श्रीलंका और बांग्लादेश में सरकार परिवर्तन के आलोक में आया है।

श्रीलंका के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि जब कोलंबो बहुत गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा था और ‘‘साफगोई से कहूं, तो जब कोई सामने नहीं आया’’ तब भारत आगे आया।

उन्होंने कहा, ‘‘ और मुझे बहुत खुशी है कि हमने यह किया। हमने इसे समय पर किया। हमने इसे बड़े पैमाने पर किया। हमने 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर प्रभावी रूप से दिए।’’

उन्होंने कहा कि इस कदम से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में स्थायित्व आया।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ बाकी सब उन पर निर्भर था। जब हमने ऐसा किया, तब हमारी कोई राजनीतिक शर्त नहीं थी। हम एक अच्छे पड़ोसी के नाते ऐसा कर रहे थे जो अपने पड़ोस में उस तरह की आर्थिक मंदी नहीं देखना चाहता था।’’

उन्होंने कहा कि श्रीलंका में जो कुछ भी राजनीतिक रूप से होता है, उसे ‘‘ देखना उनकी राजनीति का काम है।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ आखिरकार, हमारे हर पड़ोसी की अपनी नीतियां होंगी। हमारा यह सुझाव देने का इरादा नहीं है कि उनके आयाम अनिवार्य रूप से उसी के अनुरूप होने चाहिए जिसे हम अपने लिए बेहतर मानते हैं। मुझे लगता है कि यह वास्तविक दुनिया है, हर कोई अपनी पसंद तय करता है और फिर देश एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाते हैं और इस पर काम करने के तरीके खोजते हैं।’’

बांग्लादेश के संदर्भ में जयशंकर ने कहा, ‘‘ यह थोड़ा अलग है। पिछले दशक में हमने जो किया है वे विभिन्न प्रकार की परियोजनाएं हैं जो हम दोनों देशों के लिए अच्छी रही हैं। कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधि बढ़ी है और उस क्षेत्र की स्थिति बेहतर हुई है।’’

जयशंकर ने कहा कि उससे दोनों देशों को बहुत काफी फायदा हुआ।

बांग्लादेश में हफ़्तों तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटना पड़ा और वह भारत भाग गईं। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ दिलाई गई थी।

सोमवार को 56 वर्षीय मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है।

भाषा राजकुमार मनीषा

मनीषा