इस्लामाबाद: भारत में पिछले कुछ समय से केंद्र की सरकार ने सरकारी कंपनियों की दशा, दिशा सुधारने और और उन्हें मुनाफे में लाने के मकसद से सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया हैं। (Complete Privatization in Pakistan) सरकार के इस फैसले की आलोचाना विपक्ष द्वारा की जाती रही हैं। इनमें एयरपोर्ट्स से लेकर टेलीकॉम और रेलवे जैसे सेक्टर शामिल रहे हैं। हालांकि ऐसे फैसले सभी सरकारें लेती रही हैं। 1991 में हुए उदारीकरण के बाद से सरकार के लिए सरकारी कंपनियों में सुधार के लिए यह एक सहज तरीका मान लिया गया। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार से लेकर मौजूदा मोदी की सरकार ने इस दिशा में कई बड़े फैसले लिए हैं।
बहरहाल आज हम बात कर रहे हैं गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश पाकिस्तान की। यहाँ के प्रधानमंमंत्री शाहबाज शरीफ के एक फैसले से देशभर में हड़कंप मचा हुआ हैं।
दरअसल पीएम प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है। सरकार का काम बिजनेस और देश में निवेश के लिए अच्छा माहौल देना है। सभी सरकारी कंपनियों को बेचा जाएगा, चाहे वह मुनाफा कमा रही हों या नहीं। सरकार सिर्फ उन कंपनियों को अपने पास रखेगी, जो रणनीतिक रूप से अहम होंगी। (Complete Privatization in Pakistan) वही अब इस फैसले के बाद वहां के सरकार और प्रॉइवेट दोनों ही सेक्टर में हड़कंप मचा हुआ हैं। दोनों ही सेक्टर के कर्मचारी अपने जॉब को लेकर बेहद चिंतित हो उठे हैं। पाकिस्तान के कई दूसरी सियासी दलों ने इस कदम का विरोध शुरू कर दिया हैं तो कई ने इसे अर्थव्यवस्था के सेहत के सुधार के लिए सही कदम बताया हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस निजीकरण से देश की माली हालत में किस हद तक सुधार लाया जा सकता हैं।