Christmas Banned Countries Name: नई दिल्ली। 25 दिसंबर को दुनियाभर में ईसाई समुदाय उत्साह और खुशी के साथ क्रिसमस का पर्व मनाता है। पश्चिमी देशों में तो क्रिसमस का सप्ताह पहले ही शुरू हो चुका है और जोर-शोर से तैयारियां भी हो रही हैं। यह पर्व सिर्फ ईसाई धर्म का नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। हालांकि, दुनिया के कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां क्रिसमस मनाना या उससे जुड़ी किसी भी परंपरा को निभाना पूरी तरह से मना है। इनमें से कुछ देशों में कानूनी प्रतिबंध हैं तो कहीं धार्मिक कारणों से इस त्योहार को मनाने की अनुमति नहीं होती। आइए जानते हैं ऐसे देशों के बारे में।
विश्व में ऐसे करीब 43 देश हैं, जहां 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश नहीं होता और यह दिन एक साधारण तारीख की तरह देखा जाता है। इन देशों में से कुछ जगहों पर लोग निजी तौर पर क्रिसमस मनाते हैं या इस अवसर पर साज-सज्जा और तोहफों की हल्की-फुल्की झलक देखने को मिल जाती है। लेकिन दुनिया के लगभग 18 देश ऐसे हैं जहां पर क्रिसमस मनाना किसी भी रूप में पूरी तरह प्रतिबंधित है।
Christmas Banned Countries Name: तालिबान-शासित अफगानिस्तान में क्रिसमस मनाना किसी जोखिम से कम नहीं है। 1990 के दशक से यहां तालिबान का प्रभाव रहा है, जिसके चलते ईसाई पर्वों को मनाना कानूनन मना है। ईसाई देशों के प्रति लंबे संघर्ष और कट्टर इस्लामी कानूनों के कारण यहां क्रिसमस जैसी किसी भी परंपरा को निभाने पर सजा का खतरा बना रहता है।
ब्रूनेई एक और ऐसा मुस्लिम बहुल देश है जहां सार्वजनिक रूप से क्रिसमस मनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यहां 2015 से सख्त कानून लागू किया गया है जिसके तहत क्रिसमस मनाने पर पांच साल की जेल या 20,000 डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, गैर-मुस्लिम समुदाय को निजी स्तर पर इस पर्व को मनाने की अनुमति है।
Christmas Banned Countries Name: 1962 में फ्रांस से आजादी के बाद अल्जीरिया में क्रिसमस मनाने की कोई औपचारिक परंपरा नहीं रही। इसी तरह, अफ्रीकी देश कोमोरोस में भी ईसाई धर्म की गतिविधियों पर प्रतिबंध है। यहां की 98 प्रतिशत आबादी सुन्नी मुस्लिम है और ईसाई समुदाय के लोगों को कई प्रकार के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है।
सोमालिया में 2009 में शरीया कानून को लागू किया गया था। इसके बाद 2015 में क्रिसमस जैसे किसी भी आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। देश में धार्मिक कानूनों का पालन सख्ती से किया जाता है, जिसके कारण ईसाई समुदाय को यहां क्रिसमस मनाने की अनुमति नहीं है।
Christmas Banned Countries Name: मुस्लिम देश लीबिया में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है, जिस कारण क्रिसमस की कोई जगह नहीं बन पाती। वहीं, यमन जैसे युद्धग्रस्त देश में दशकों से क्रिसमस नहीं मनाया जा रहा है। यहां की स्थिति ईसाई समुदाय के लिए और अधिक कठिन बना देती है।
सऊदी अरब में भी दशकों से क्रिसमस पर सख्त प्रतिबंध है। इस्लामी कानूनों के तहत यहां क्रिसमस के किसी भी आयोजन को गैर-कानूनी करार दिया गया है। इस देश में ईसाई समुदाय काफी छोटे स्तर पर मौजूद है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता न होने के कारण वे सार्वजनिक रूप से इस त्योहार को नहीं मना सकते।
Christmas Banned Countries Name: पाकिस्तान में 25 दिसंबर को अवकाश जरूर होता है, लेकिन यह दिन देश के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ईसाई समुदाय यहां अल्पसंख्यक है और उन्हें अक्सर धार्मिक असहिष्णुता और हमलों का खतरा बना रहता है।
इन देशों में क्रिसमस का पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर दुनिया का एक बड़ा हिस्सा इसे उत्सव के रूप में मना रहा होता है, वहीं दूसरी ओर कुछ देश ऐसे भी हैं जहां क्रिसमस का नाम लेना भी खतरे से खाली नहीं। धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों से इन देशों ने ईसाई परंपराओं पर रोक लगाई हुई है, जिससे यहां का ईसाई समुदाय लगातार दबाव में रहता है।
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Christmas Banned Countries Name: क्रिसमस मनाने पर सख्त प्रतिबंध वाले देशों में अफगानिस्तान, ब्रूनेई, सऊदी अरब, सोमालिया, यमन और लीबिया शामिल हैं। इन देशों में कानूनी या धार्मिक कारणों से क्रिसमस पर रोक है।
जी हां, ब्रूनेई में गैर-मुस्लिम समुदाय को निजी तौर पर क्रिसमस मनाने की अनुमति है, लेकिन सार्वजनिक रूप से इसे मनाना प्रतिबंधित है।
सऊदी अरब में इस्लामी कानूनों के सख्त पालन के कारण क्रिसमस जैसे गैर-इस्लामी त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
Christmas Banned Countries Name: लगभग 43 देश ऐसे हैं, जहां क्रिसमस के लिए सार्वजनिक अवकाश नहीं होता। इनमें मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल देश शामिल हैं।
पाकिस्तान में 25 दिसंबर को सरकारी अवकाश होता है, लेकिन यह दिन मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती के रूप में मनाया जाता है। ईसाई समुदाय निजी तौर पर क्रिसमस मनाता है, लेकिन उन्हें धार्मिक असहिष्णुता का सामना करना पड़ता है।