(केजेएम वर्मा)
बीजिंग, 18 अक्टूबर (भाषा) चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिस दौरान वह ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एक नये युग की शुरूआत करने को लेकर अन्य पक्षों के साथ बातचीत करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
हालांकि, शी की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के बारे में अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। मोदी भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं।
यह ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन होगा, जिसका आयोजन रूस की अध्यक्षता में हो रहा है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां कहा कि शी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर, 22 से 24 अक्टूबर तक रूस के कज़ान में आयोजित होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, लेकिन अब इसमें पांच और देश शामिल हो गए हैं। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय है, ‘‘न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना।’’
बाद में नियमित पत्रकार वार्ता में, मंत्रालय की एक अन्य प्रवक्ता माओ निंग ने शी की भागीदारी के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति छोटे-समूह और बड़े-समूह की वार्ताओं और ‘ब्रिक्स प्लस डायलॉग’ सहित अन्य कार्यक्रमों में भाग लेंगे और बैठक को संबोधित करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘वह (शी) अन्य नेताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य, ब्रिक्स व्यावहारिक सहयोग, ब्रिक्स के विकास और आपसी हित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीन अन्य पक्षों के साथ मिलकर ब्रिक्स सहयोग के स्थिर और सतत विकास के लिए काम करने को तैयार है, ताकि ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुट होकर शक्ति जुटाने और संयुक्त रूप से विश्व शांति व विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नये युग की शुरूआत की जा सके।’’
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का उपयोग आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को संदर्भित करने के लिए आम तौर पर किया जाता है। ये देश खासकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।
हालांकि, मोदी के साथ शी की मुलाकात की संभावना के बारे में अटकलों पर चीन ने अब तक कुछ नहीं कहा है।
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय (एमईए) के बयान में कहा गया है कि अपनी यात्रा पर, प्रधानमंत्री मोदी के ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी संभावना है, लेकिन इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया।
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना (पीएलए) द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करने के बाद भारत और चीन के बीच संबंध तल्ख हो गए थे।
चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, तब से दोनों देशों ने कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ता की तथा गलवान घाटी सहित टकराव वाले चार क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाया है।
भारत, चीन पर उसकी (चीन की) सेना को देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से हटाने का दबाव बना रहा है। नयी दिल्ली का कहना है कि जब तक सीमाओं पर स्थिति असामान्य बनी रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती।
कज़ान में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बारे में माओ ने कहा कि इस वर्ष ब्रिक्स सहयोग में वृद्धि की शुरुआत हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन है, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का व्यापक ध्यान आकर्षित किया है।’’
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह ने मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को शामिल कर अपनी सदस्यता का विस्तार किया है।
माओ ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ब्रिक्स ने खुलेपन, समावेशिता और बेहतर सहयोग की भावना का पालन किया है तथा एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल करने के अपने मूल उद्देश्य के प्रति सच्चा रहा है।
उन्होंने कहा कि समूह बहुपक्षवाद को बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक सकारात्मक और स्थिर शक्ति बनने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।
भाषा सुभाष वैभव
वैभव