बीजिंग में गांधी जयंती समारोह के अवसर पर चीनी कलाकारों और स्कूली बच्चों ने दी प्रस्तुति

बीजिंग में गांधी जयंती समारोह के अवसर पर चीनी कलाकारों और स्कूली बच्चों ने दी प्रस्तुति

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  • Publish Date - October 2, 2024 / 03:56 PM IST,
    Updated On - October 2, 2024 / 03:56 PM IST

(तस्वीर के साथ)

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, दो अक्टूबर (भाषा) चीन के विशाल चाओयांग पार्क में बुधवार को गांधी जयंती मनाई गई, जिसमें स्थानीय स्कूली बच्चों ने मंदारिन भाषा में उनकी शिक्षाओं का उल्लेख किया और बीजिंग के कलाकारों ने उनके पसंदीदा भजन पर ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया।

बीजिंग का मनोरम चाओयांग पार्क चीनी स्कूली बच्चों के एक समूह द्वारा मंदारिन भाषा में उनके उपदेशों के पाठ से जीवंत हो उठा। इस पार्क में 2005 में प्रसिद्ध चीनी मूर्तिकार प्रो. युआन शिकुन द्वारा बनाई गयी महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई थी।

इसके बाद बीजिंग की प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना झांग जिंगहुई और उनके दल द्वारा ‘वैष्णव जन तो’ पर एक भावपूर्ण ओडिसी नृत्य प्रस्तुति दी गयी।

भारतीय समुदाय ने नाटक “अहिंसा: गांधी मार्ग” का मंचन किया, जिसका निर्देशन और लेखन क्रमशः केतकी ठाकर और आयुषी सुगंधी ने किया।

राजदूत प्रदीप कुमार रावत के नेतृत्व में भारतीय राजनयिकों के अलावा मालदीव में चीनी राजदूत डॉ. फजील नजीब, बीजिंग स्थित भारतीय प्रवासी और महात्मा गांधी के स्थानीय प्रशंसकों ने प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

रावत ने अपने भाषण में महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाने के लिए प्रोफेसर युआन शिकुन की सराहना की। यह चाओयांग पार्क में विश्व के महान नेताओं के सम्मान में बनाई गयी पहली प्रतिमा है।

उन्होंने यह भी याद किया कि प्रोफेसर युआन ने उनसे कहा था कि वह महात्मा गांधी के दृष्टिकोण से काफी प्रेरित होते हैं।

चीन की राजधानी में महात्मा गांधी की प्रतिमा की स्थापना का अपना राजनीतिक महत्व है, क्योंकि गांधी और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के संस्थापक माओत्से तुंग ने विपरीत विचारधाराओं के साथ अपने-अपने राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों का नेतृत्व किया था।

भारत 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ, जबकि माओ के नेतृत्व में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) का गठन 1949 में हुआ।

रावत ने अपने संबोधन में कहा, “महात्मा गांधी सिर्फ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता ही नहीं थे; वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने सत्य, अहिंसा और सामाजिक न्याय के मूल्यों का समर्थन किया। यह उचित ही है कि गांधी का जन्मदिन दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाए।”

स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण प्रोफेसर युआन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा