(अदिति खन्ना)
लंदन, 18 जनवरी (भाषा) ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ‘‘भारत के जम्मू और कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार’’ की 35वीं सालगिरह के अवसर पर संसद में एक प्रस्ताव पेश किया।
कंजर्वेटिव सांसद ब्लैकमैन ने बृहस्पतिवार को संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मुद्दे पर प्रस्ताव पेश किया, जो जनवरी 1990 से चला आ रहा है।
ईडीएम एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग ब्रिटिश सांसद किसी विशेष मुद्दे पर संसद का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं।
ईडीएम में कहा गया है, ‘‘यह सदन जनवरी 1990 में कश्मीर घाटी की अल्पसंख्यक हिंदू आबादी पर सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा किए गए समन्वित हमलों की 35वीं वर्षगांठ को गहरे दुख और निराशा के साथ याद करता है।’’
प्रस्ताव में ब्रिटिश हिंदू नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई है, जिनके ‘‘मित्र और परिवार के सदस्य इस सुनियोजित नरसंहार में मारे गए, बलात्कार के शिकार हुए, घायल हुए और जिन्हें बलपूर्वक विस्थापित किया गया।’’ इसमें ‘‘जम्मू-कश्मीर में पवित्र स्थलों के अपमान की निंदा की गई; न्याय मांगने के अधिकार सहित ब्रिटेन में हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली गई’’।
प्रस्ताव में आगे कहा गया है, ‘‘(सदन) चिंतित है कि उत्पीड़न से बचने के लिए भागे कश्मीरी हिंदू अल्पसंख्यकों को 35 वर्षों में अभी तक न्याय या उनके विरुद्ध किए गए अत्याचारों को स्वीकार नही किया गया; सदन ऐसे सीमापार आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने वालों की निंदा करता है।’’
इसमें कहा गया है कि सदन ‘‘इस बात से चिंतित है कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले संगठन ब्रिटेन में फल-फूल रहे हैं; सुरक्षा के प्रति जवाबदेही के अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत के तहत अलग-अलग राज्यों और अंतराष्ट्रीय समुदाय को कश्मीरी हिंदुओं द्वारा सामना किये गए नरसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है; सदन भारत सरकार से आग्रह करता है कि वह जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार को मान्यता देने और स्वीकार करने की अपनी दीर्घकालिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पूरा करे।’’
प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा बना हुआ है; भारत सरकार से संसद में प्रस्तावित पनुन कश्मीर नरसंहार अपराध दंड और अत्याचार निवारण विधेयक को पारित करने का आग्रह किया जाता है, और आगे ब्रिटेन सरकार से 19 जनवरी को कश्मीरी पंडित पलायन दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया जाता है’’।
भाषा धीरज माधव
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