बोरिस जॉनसन: वे चार तरीके जिनके माध्यम से ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद की गरिमा को ताक पर रखा

बोरिस जॉनसन: वे चार तरीके जिनके माध्यम से ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद की गरिमा को ताक पर रखा

बोरिस जॉनसन: वे चार तरीके जिनके माध्यम से ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद की गरिमा को ताक पर रखा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:25 pm IST
Published Date: September 4, 2022 12:28 pm IST

(लुइस थॉम्पसन, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय)

मैनचेस्टर, चार सितंबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन का कार्यकाल लगभग समाप्त होने वाला है और इसके साथ ही संसद के लिए नियंत्रण से बाहर जाने वाली सरकार एवं बड़े स्तर पर राजनीतिक अव्यवस्था का अंत हो जाएगा।

डाउनिंग स्ट्रीट में जॉनसन के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश संवैधानिक प्रणाली की कुछ खामियां सामने आईं जिससे पता चला कि किस प्रकार संसद में बहुमत, मंत्रियों और संसद के अस्पष्ट नियम और एक राष्ट्रीय संकट, प्रधानमंत्री को राजनीति में अपना एकाधिकार स्थापित करने तथा किसी निगरानी से बचने का अवसर दे सकता है।

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जॉनसन के अपने पद से इस्तीफा देने और नई सरकार के भविष्य की चिंताओं के साथ ही उनके प्रधानमंत्रित्व काल के चार अहम पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है:

एक- उन्होंने संभवतः भ्रम में रखा या सांसदों से झूठ बोला

प्रधानमंत्री के रूप में जॉनसन का सबसे बुरा दौर 2022 के शुरुआती दिनों में आया जब उन पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगा।

जॉनसन ने लगातार इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोविड लॉकडाउन के दौरान पार्टी में शामिल होने को लेकर सांसदों से यह कहा कि उन्हें कुछ पता नहीं था या उन्होंने कुछ नहीं किया। मंत्रियों का नियम एक ऐसा दस्तावेज है जो यह मानक तय करता है कि सभी सरकारी मंत्रियों को कैसा आचरण करना चाहिए। इसके अनुसार सच बोलने और सही बात कहने का सबसे ज्यादा महत्व है।

यदि एक मंत्री या प्रधानमंत्री, अनजाने में हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद का निचला सदन) में कोई गलत बात कहता है तो उसे जल्द से जल्द इसमें सुधार करना चाहिए।

द इंडिपेंडेंट और तथ्यान्वेषी संगठन फुल फैक्ट की ओर से हाल में की गई जांच में सामने आया था कि जॉनसन की सरकार ने 2019 से अब तक कम से कम 27 मिथ्या बयान दिए जिन्हें अभी तक सुधारा नहीं गया। इनमें से 17 बयान प्रधानमंत्री ने दिए थे।

दो- हाउस ऑफ कॉमन्स में अनावश्यक रूप से अशिष्ट आचरण करना

जॉनसन ने खुद को ऐसा दिखाया जैसे वह उन नियमों को दरकिनार करने में निपुण हों जिनके तहत सांसद निचले सदन में एक-दूसरे को संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री ने अकसर अतिरंजित भाषा का प्रयोग कर अपमानजनक बातों छिपाने का काम किया।

उनके कार्यकाल के दौरान कई सांसदों ने इस विडंबना को रेखांकित किया कि संसदीय बहस के नियमों के चलते सदन में किसी को झूठा कहने पर उसे सजा देना कितना सरल है और झूठ बोलने वाले को वास्तव में दोषी ठहराना कितना कठिन है।

तीन- संसद का सत्रावसान करना

सरकार और संसद के बीच संतुलन रखना प्रायः तनावपूर्ण होता है। सरकार अपना कामकाज सुचारू रूप से चलाना चाहती है लेकिन इसके साथ ही उसे यह भी स्वीकार करना चाहिए कि संसद को चर्चा करने और किसी मुद्दे की पड़ताल करने का भी अधिकार प्राप्त है।

कई बार, सरकार के पक्ष में पलड़ा अधिक झुक जाता है। परंतु, जॉनसन सरकार इस शक्ति के इस्तेमाल में अन्य सरकारों से आगे चली गई।

जॉनसन ने अगस्त 2019 में अप्रत्याशित रूप से समय से पहले संसद का सत्रावसान कर दिया और सांसदों को सरकार के निर्णय पर बहस करने का मौका नहीं दिया। इस दौरान वह ब्रेग्जिट समझौते को पारित करवाने का प्रयास कर रहे थे। उच्चतम न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप कर इस कदम को अवैध घोषित करना पड़ा।

चार- संसद अवलोकन से पहले प्रेस के सामने घोषणा करना

महामारी के चरम काल के दौरान, ब्रिटेन की जनता हर दिन जॉनसन या किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के संवाददाता सम्मेलन के सीधे प्रसारण को देखने की आदी हो गई थी। परंतु, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को प्रेस के सामने कोई भी प्रमुख नीतिगत घोषणा करने से पहले संसद को बताना जरूरी था।

यह मंत्रियों के नियम में लिखा हुआ है। निचले सदन के अध्यक्ष लगातार जॉनसन से इस बात पर नाराजगी व्यक्त करते देखे गए कि उन्होंने सांसदों को बताने से पहले प्रेस के सामने महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष ने यहां तक कहा कि सदन का महत्व टीवी न्यूज के बाद आता है।

(द कन्वरसेशन) यश नेत्रपाल

नेत्रपाल


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