बिश्नोई गैंग के तार ‘खालिस्तानी तत्वों’ को निशाना बनाने वाले भारतीय ‘एजेंटों’ से जुड़े: कनाडाई पुलिस

बिश्नोई गैंग के तार ‘खालिस्तानी तत्वों’ को निशाना बनाने वाले भारतीय ‘एजेंटों’ से जुड़े: कनाडाई पुलिस

  •  
  • Publish Date - October 15, 2024 / 03:38 PM IST,
    Updated On - October 15, 2024 / 03:38 PM IST

ओटावा, 15 अक्टूबर (भाषा) रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने आरोप लगाया है कि बिश्नोई गिरोह के तार भारत सरकार के उन ‘एजेंटों’ से जुड़े हैं, जो देश में दक्षिण एशियाई समुदाय, विशेष रूप से ‘खालिस्तान समर्थक तत्वों’ को निशाना बना रहे हैं।

आरसीएमपी आयुक्त माइक दुहेमे और उपायुक्त ब्रिगिट गौविन ने ओटावा में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह बयान दिया। इससे कुछ घंटे पहले ही भारत ने दिल्ली में कनाडा उच्चायोग के छह सदस्यों को निष्कासित किए जाने की घोषणा की थी।

क्या भारत कनाडा में सिख समुदाय को निशाना बना रहा है, इस सवाल पर गौविन ने कहा, ‘‘यह दक्षिण एशियाई समुदाय को निशाना बना रहा है। लेकिन वे विशेष रूप से कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों को….खालिस्तान समर्थक आंदोलन को निशाना बना रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरसीएमपी के नजरिए से हमने जो देखा है, वो यह है कि वे संगठित आपराधिक तत्वों का इस्तेमाल करते हैं।’’

गौविन ने कहा, ‘‘इसके लिए सार्वजनिक रूप से एक संगठित अपराध समूह ने जिम्मेदारी ली है जो कनाडा में बिश्नोई समूह है। हमारा मानना ​​है कि यह समूह भारत सरकार के एजेंटों से जुड़ा हुआ है।’’

हालांकि, भारत में जांच एजेंसियों ने भारत में अनेक अपराधो में लॉरेंस बिश्नोई की संलिप्तता की बात कही है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बड़े मामलों में उसका नाम लिया है जिनमें पाकिस्तान से हथियारों की तस्करी शामिल है।

एनआईए ने दावा किया था कि बिश्नोई कनाडा में गतिविधियां चलाने वाले कुख्यात अपराधी गोल्डी बरार के साथ जबरन वसूली का गिरोह चला रहा है। बरार के खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के साथ करीबी संपर्क हैं।

बिश्नोई कथित रूप से भारत में पिछले कई सालों से जेलों से आतंकवाद और अपराध का गिरोह चला रहा है।

भारत ने सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजनयिकों को जोड़ने संबंधी कनाडा के आरोपों को खारिज करने के बाद सोमवार को कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और घोषणा की थी कि वह उस देश से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को वापस बुला रहा है।

हालांकि, कनाडा ने कहा कि उसने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है।

भारत पिछले साल निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के कनाडा के आरोप को दृढ़ता से खारिज करता रहा है।

आरसीएमपी हत्या की जांच कर रही है।

पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।

निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया।

दुहेमे और गौविन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह घोषणा विशेष रूप से निज्जर मामले के बारे में नहीं है, बल्कि जनता को सूचित करने और ‘कनाडा में होने वाली आपराधिक गतिविधियों की व्यापकता की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए है, जो हमारी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।’

टोरंटो के सिटीन्यूज पोर्टल ने दुहेमे के हवाले से कहा, ‘‘निज्जर मामले पर एक अलग जांच हो रही है और भारत सरकार के साथ संबंधों को देखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के पक्ष पर एक और अलग जांच चल रही है।’’

आयुक्त ने एक बयान पढ़ा जिसमें कहा गया कि आरसीएमपी और अन्य कनाडाई कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने हत्या, जबरन वसूली और अन्य आपराधिक हिंसा में शामिल होने के लिए ‘काफी संख्या में लोगों’ की जांच की और उन पर आरोप लगाए हैं।

जब संख्या के बारे में पूछा गया, तो गौविन ने कहा, ‘‘लगभग आठ लोगों को हत्या के संबंध में और 22 लोगों को जबरन वसूली के संबंध में गिरफ्तार किया गया और उन पर आरोप लगाए गए, जिनमें से कुछ का भारत सरकार से संबंध है।’’

रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार द्वारा ‘विदेशी हस्तक्षेप’ की घटनाओं की रिपोर्ट करने में जनता से मदद मांगी जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कोई भी ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से धमकी का सामना करता है, उसे घटना की रिपोर्ट अपनी स्थानीय पुलिस को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

समाचार पोर्टल के अनुसार गौविन ने कहा, ‘‘भारतीय राजनयिक और वाणिज्य दूतावास के अधिकारी कनाडा में रहने वाले अपने नागरिकों और अपने देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए यहां हैं, न कि इन लोगों की आपराधिक गतिविधि या धमकी या जबरदस्ती का हिस्सा बनने के लिए। इसलिए हम इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह राजनयिक संबंधों पर वियना समझौते का उल्लंघन तो है ही, बल्कि एक समाज के रूप में कनाडा के मूल्यों के भी खिलाफ है।’’

भाषा वैभव नरेश

नरेश