(एड हचिंसन, प्रोफेसर, एमआरसी-यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वायरस रिसर्च, ग्लासगो यूनिवर्सिटी)
ग्लासगो, पांच नवंबर (द कन्वरसेशन) एच5एन1 इंफ्लूएंजा ने अब सुअरों की आबादी में भी दस्तक दे दी है। 2020 में बर्ड फ्लू के इस बेहद संक्रामक स्वरूप के वैश्विक स्तर पर तेजी से फैलने के बाद से ही विषाणुविज्ञानी इस बात को लेकर चिंतित थे। लेकिन वे सूअरों को लेकर खासतौर पर फिक्रमंद क्यों थे? और क्या ओरेगॉन के एक फार्म में 29 अक्टूबर को एक सूअर में एच5एन1 इंफ्लूएंजा संक्रमण की पुष्टि से कुछ बदला है?
यह अजीब लगता है कि हम इसे लेकर चिंतित हैं। लेकिन एक सुअर के एच5एन1 इंफ्लूएंजा की चपेट में आने की शुरुआती खबरें कई मायनों में वैश्विक स्तर पर बर्ड फ्लू के लगातार जारी प्रकोप की ओर इशारा करती हैं, जिसने दुनियाभर में समुद्री पक्षियों की ढेरों कॉलोनियों को तबाह किया है, बड़ी संख्या में सील मछली की मौत का कारण बना है और अमेरिका में मवेशियों में एक नये संक्रामक रोग को जन्म दिया है।
मौजूदा मामले में हम फिलहाल बस यही जानते हैं कि अमेरिका के एक गैर-वाणिज्यिक पोल्ट्री फार्म में पक्षियों में एच5एन1 संक्रमण पाया गया है। इस फार्म में पांच सुअर सहित अन्य जानवर भी रहते हैं। यूं तो सुअरों में कोई लक्षण नहीं उभरे, लेकिन उनमें से एक की नाक से लिए गए नमूने की जांच में एच5एन1 वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
हम अभी यह नहीं जानते कि वह सुअर वाकई में संक्रमित हो गया था या फिर उसने संक्रमण के शिकार पक्षियों के संपर्क में आए किसी पदार्थ को सूंघ लिया था। फिलहाल, ऐसा नहीं लगता है कि इस वायरस का किसी अन्य सुअर में प्रसार हुआ है।
हालांकि, पोल्ट्री फार्म में “स्पिलओवर इंफेक्शन” बेहद आम हैं, जिसमें एक नस्ल के जानवरों में पाए जाने वाले वायरस दूसरे नस्ल के पशु में फैल जाते हैं। मई में एक पोल्ट्री फार्म में अल्पाका (भेड़ की नस्ल का पशु) में एच5एन1 संक्रमण का मामला सामने आया था।
यह समझने के लिए कि सुअर में संक्रमण के मामले ने विषाणुविज्ञानियों का ध्यान क्यों खींचा है, हमें यह सोचना होगा कि किसी वायरस के एक मेजबान नस्ल से दूसरी में फैलने के क्या मायने हैं। पल भर के विश्लेषण मात्र से पता चल जाता है कि किसी वायरस के लिए मेजबान नस्ल से दूसरी नस्ल में प्रवेश करना अविश्वसनीय रूप से कठिन होगा।
दुनिया ऐसे वायरस से भरी पड़ी है, जो हमारे आसपास मौजूद हर नस्ल के जीवों को संक्रमित कर सकते हैं। लेकिन अगर किसी वायरस के लिए एक नस्ल से दूसरी नस्ल में फैलना लगभग असंभव न होता, तो हम हर दस मिनट में एक नयी महामारी से जूझ रहे होते।
बैक्टीरिया से अलग
-वायरस के लिए एक नस्ल के जीव से दूसरी नस्ल के जीव के शरीर में प्रवेश करना इतना मुश्किल इसलिए होता है, क्योंकि वायरस मूल रूप से बैक्टीरिया या परजीवियों (पैरासाइट) से अलग होते हैं। बैक्टीरिया और परजीवी ऐसे रोगजनक होते हैं, जो मूल रूप से हमारी कोशिकाओं और अंगों को नष्ट करना चाहते हैं।
वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कोशिकाओं का नियंत्रण अपने हाथों में ले लेते हैं और उनकी क्रिया में बदलाव करते हैं, ताकि अपनी आबादी बढ़ा सकें। इसलिए, किसी वायरस के लिए अलग जीव को संक्रमित करना ठीक उसी तरह है, जैसे कोई व्यक्ति किसी बहस को जीतने के लिए लोगों पर उस भाषा में चिल्लाने की कोशिश कर रहा हो, जिसे वे समझ ही नहीं सकते। और इसी से समझा जा सकता है कि सुअर में एच5एन1 वायरस की दस्तक को क्यों गंभीरता से लिया जा रहा है।
इंफ्लूएंजा वायरस (खासतौर पर इंफ्लूएंजा-ए वायरस समूह, जिसमें एच5एन1 शामिल है) एक नस्ल के जीव से दूसरी नस्ल के जीव में प्रवेश करने में सक्षम हैं। यही कारण है कि हर कुछ दशक में वे एक नये मानव संक्रमण के पैदा होने का सबब बनते हैं।
अतीत पर गौर करने पर हम पाएंगे कि ज्यादातर महामारियों के लिए इंफ्लूएंजा वायरस जिम्मेदार रहे हैं। और एच5एन1 वायरस से एक नयी महामारी की दस्तक की आशंका हमारे लिए चिंता का सबसे बड़ा सबब है।
इंसानों में खतरा कम
-बर्ड फ्लू और मानव फ्लू के वायरस अलग-अलग मार्ग से कोशिकाओं में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं, जिससे उनके आपस में मिलने और दोनों जीवों को संक्रमित करने में सक्षम नये स्वरूपों का निर्माण करने का जोखिम घट जाता है। लेकिन, सुअर के मामले में ऐसा नहीं है।
दरअसल, फ्लू के वायरस कोशिकाओं की परत में मौजूद शक्कर के विशेष अणु की मदद से कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं। पक्षियों और इंसानों की कोशिकाओं के मामले में शक्कर के ये अणु अलग होते हैं। लेकिन, सुअर के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी कोशिकाओं की परत में मौजूद शक्कर के विशेष अणुओं की संरचना पक्षियों और इंसानों की कोशिकाओं की परत में मौजूद शक्कर के अणुओं से मिलती है।
यही कारण है कि सूअर की कोशिकाएं बर्ड फ्लू और मानव फ्लू दोनों के वायरस से संक्रमित हो सकती हैं।
क्या अभी ऐसा कोई मामला सामने आया है? शुक्र है, नहीं। फिलहाल, सुअर में एच5एन1 इंफ्लूएंजा वायरस का पाया जाना एक दुर्लभ मामला प्रतीत होता है। हमें नहीं पता कि भविष्य में ऐसे मामले सामने आने की कितनी संभावना है। लेकिन, जब तक एच5एन1 वायरस का प्रकोप रहेगा, तब तक विषाणुविज्ञानी सुअरों में उभरने वाले किसी भी संक्रमण को हल्के में नहीं लेंगे।
(द कन्वरसेशन)
पारुल नरेश
नरेश