बाइडन ने कहा- भारत और अमेरिका को साथ काम करना चाहिए, PM मोदी का 21 तोपों की सलामी के साथ स्वागत

प्रधानमंत्री के रूप में छठे अमेरिकी दौरे पर गए मोदी का साउथ लॉन में 21 तोपों की सलामी के साथ स्वागत किया गया। इस दौरान दोनों देशों की राष्ट्रगान के धुन बजाए गए।

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  • Publish Date - June 22, 2023 / 11:38 PM IST,
    Updated On - June 23, 2023 / 12:09 AM IST

Modi gets grand welcome at White House : वाशिंगटन, 22 जून । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बृहस्पतिवार को कहा कि दुनिया के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों एवं अवसरों के बीच भारत और अमेरिका को साथ मिलकर काम करना और बढ़ना चाहिए। व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भव्य स्वागत के बीच दोनों देशों के बीच रक्षा, कारोबार एवं अंतरिक्ष सहयोग पर समझौते होंगे।

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आधिकारिक स्वागत का गवाह बनने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय बूंदाबांदी के बीच व्हाइट हाउस के ‘साउथ लॉन’ में जमा थे। इस दौरान लोग ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगा रहे थे।

राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों देशों के संबंधों को 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक करार दिया, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संबंधों के प्रति अमेरिकी नेता की प्रतिबद्धता ने ‘साहसी और ठोस’ निर्णय लेने के लिये प्रेरित किया है। स्वागत समारोह के दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ‘‘व्हाइट हाउस में फिर से स्वागत है प्रधानमंत्री मोदी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस शताब्दी में दुनिया जिस प्रकार की चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रही है, उसमें यह जरूरी है कि भारत और अमेरिका साथ मिलकर काम करें और आगे बढ़ें।’’

बाइडन ने कहा कि ये कहानियां हमारे संबंधों को परिभाषित करती हैं और अमेरिका एवं भारत के बीच असीमित संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि दो महान देश, दो महान मित्र और दो महान शक्ति 21वीं सदी की दिशा को परिभाषित कर सकते हैं।

राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी की निकटता के कारण ही बाइडन प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी और व्हाइट हाउस में शानदार स्वागत किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश वैश्विक अच्छाई, शांति, स्थिरता के लिए काम करेंगे और दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के समाज और संस्थाएं लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं तथा दोनों (देशों) को अपनी विविधता पर गर्व है।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों का संविधान तीन शब्द ‘‘वी द पीपल’ से प्रारंभ होता है जिसका उल्लेख राष्ट्रपति बाइडन ने किया है।

एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए)-एमके-2 तेजस के जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए बृहस्पतिवार को हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ समझौता किया।

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह समझौता महत्वपूर्ण कदम है जो भारत में एफ414 इंजन के उत्पादन से संबंधित है और इसके माध्यम से पहले की तुलना में अमेरिकी जेट इंजन प्रौद्योगिकी का अधिक हस्तांतरण सुगम होगा।

व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में शिष्टमंडल स्तर की वार्ता से पहले मोदी और बाइडन ने आमने सामने की बैठक की। दोनों नेताओं ने साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय, वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। इस वार्ता का मकसद रक्षा, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सहित भारत अमेरिका सामरिक संबंधों को और गति प्रदान करना है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘समग्र वैश्विक सामरिक साझेदारी को अगले स्तर तक ले जाने की प्रतिबद्धता। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने द्विपक्षीय बैठक की।’’

उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत अमेरिका संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा की और अपने लोगों की शांति एवं समृद्धि तथा वैश्विक अच्छाई के लिए काम करने के रास्तों पर चर्चा की।

दोनों नेताओं की बैठक के दौरान शुरूआती संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति बाइडन को भारत का शुभचिंतक बताया और कहा कि जब भी उनको अवसर मिला है, उन्होंने भारत, अमेरिका संबंधों को ताकत दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों को लेकर बाइडन की प्रतिबद्धता के कारण भारत साहसी एवं ठोस कदम उठाने को प्रेरित हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों देशों के साथ संबंधों को लेकर आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के कारण अंतरिक्ष की ऊंचाइयों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक, प्राचीन सभ्यता से लेकर कृत्रित बुद्धिमता तक हर क्षेत्र में हम कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि राजनयिक दृष्टि से जब भी दो देशों के बीच संबंधों की बात की जाती है तब अक्सर संयुक्त बयान, कार्य समूह, समझौता ज्ञापन के दायरे में होती है, इसका भी अपना महत्व है।

मोदी ने कहा कि लेकिन भारत और अमेरिका के संबंधों का महत्वपूर्ण इंजन लोगों के बीच सम्पर्क है। उन्होंने कहा, ‘‘ वास्तव में भारत अमेरिका संबंधों का वास्तविक इंजन लोगों से लोगों के बीच मजबूत सम्पर्क है।’’

प्रधानमंत्री के रूप में छठे अमेरिकी दौरे पर गए मोदी का साउथ लॉन में 21 तोपों की सलामी के साथ स्वागत किया गया। इस दौरान दोनों देशों की राष्ट्रगान के धुन बजाए गए।

व्हाइट हाउस के प्रांगण में स्वागत समारोह में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और उनके पति डगलस एमहॉफ भी मौजूद थे।

स्वागत समारोह में काफी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग मौजूद थे और वे ‘अमेरिका, अमेरिका’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे।

स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह जल्द ही राष्ट्रपति बाइडन के साथ बैठक करेंगे जिसमें क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि हमारी वार्ता सकारात्मक होगी।’’

मोदी ने कहा कि दोनों देश वैश्विक अच्छाई, शांति, स्थिरता के लिए काम करेंगे और दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे।

उन्होंने कहा कि दोनों देश वैश्विक अच्छाई, शांति, स्थिरता के लिए काम करेंगे और दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों को छुएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी मजबूत सामरिक साझेदारी लोकतंत्र की ताकत का स्पष्ट प्रमाण है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद दुनिया एक नया रूप ले रही है। इस काल में भारत और अमेरिका पूरे विश्व के सामर्थ्य को बढ़ाने में सक्षम होगी तथा दोनों देश साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंध में एक हैं।

बाइडन ने कहा कि दोनों देश आज जो निर्णय लेंगे वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका स्वास्थ्य देखभाल, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से उपजे मुद्दों पर करीबी रूप से काम कर रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ भारत के सहयोग से, हमने स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए क्वाड को मजबूत किया है।’’

बाइडन ने कहा कि अमेरिका के कांग्रेस में काफी संख्या में भारतीय अमेरिकी सेवा दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम यह बात यहां व्हाइट हाउस में भी देख रहे हैं कि भारतीय मूल के गौरवशाली अमेरिकी हर दिन हमारे देश की सेवा कर रहे हैं जिसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय नौकरशाह की पौत्री, भारतीय छात्र की पुत्री अमेरिकी वैज्ञानिक बनी जो 19 वर्ष की आयु में कैंसर के उपचार के लिए यहां आई और ऐसी कई कहानियां हैं।

वहीं, व्हाइट हाउस में शानदार स्वागत के लिए बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन का आभार जताते हुए मोदी ने कहा कि यह पहला मौका है कि जब व्हाइट हाउस के द्वार इतनी बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकियों के लिए खोले गए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज व्हाइट हाउस में शानदार स्वागत सम्मान एक प्रकार से 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह अमेरिका में रहने वाले करीब 40 लाख भारतीय मूल के लोगों का भी सम्मान है। इसके लिए मैं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन का आभार प्रकट करता हूं।’’

मोदी ने कहा कि ‘‘ हम दोनों देश अपनी विविधता पर गर्व करते हैं, हम दोनों ही सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के मूल सिद्धांत में विश्वास करते हैं।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत द्वारा जनरल एटमिक्स एमक्यू-9 ‘रीपर’ सशस्त्र ड्रोन की खरीद को लेकर एक बड़े समझौते की घोषणा कर सकते है।

इस कदम से न सिर्फ हिंद महासागर में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और निगरानी की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि चीन से लगती सीमा पर भी यह कारगर साबित होगा।

जनरल एटमिक्स एमक्यू-9 ‘रीपर’ 500 प्रतिशत अधिक पेलोड का वहन कर सकता है और यह पूर्व के एमक्यू-1 प्रेडेटर की तुलना में नौ गुना हॉर्सपावर की क्षमता वाला है। यही नहीं, एमक्यू-9 यूएवी (ड्रोन) लंबे समय तक टिके रहने, लगातार निगरानी और हमला करने की क्षमता प्रदान करता है।

व्हाइट हाउस ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया है तथा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक संयुक्त मिशन भेजने पर सहमत हुए हैं।

अर्टेमिस संधि असैनय अंतरिक्ष अन्वेषण पर समान विचार वाले देशों को एक मंच पर लाता है।

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कहा, ‘‘अंतरिक्ष (के विषय) पर, हम यह घोषणा करने वाले हैं कि भारत अर्टेमिस संधि पर हस्ताक्षर कर रहा है, जो मानवजाति के फायदे के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के वास्ते एक साझा दृष्टि को आगे बढ़ा रहा है।’’

उल्लेखनीय है कि 1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि पर आधारित अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण को दिशानिर्देशित करने के लिए तैयार किये गये गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों का एक ‘सेट’ है। यह 2025 तक चंद्रमा पर मानव को फिर से भेजने का अमेरिका नीत प्रयास है, जिसका लक्ष्य मंगल और अन्य ग्रहों तक अंतरिक्ष का अन्वेषण करना है।

वहीं, अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने बयान में कहा कि माइक्रोन गुजरात में सेमीकंडक्टर परीक्षण एवं असेंबली संयंत्र लगाएगी और इसके माध्यम से कुल 2.75 अरब डॉलर का निवेश होगा।

माइक्रोन ने कहा कि दो चरणों में विकसित किए जाने वाले इस संयंत्र पर वह अपनी तरफ से 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। बाकी राशि का निवेश केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा।

वहीं, अमेरिकी चक स्कूमर ने वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत करते हुए कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व को देखते हुए भारतीय नेता से मुलाकात हो आशान्वित हैं।

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