मानसिक रूप से लचीला होना टीकाकरण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है

मानसिक रूप से लचीला होना टीकाकरण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है

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  • Publish Date - October 24, 2024 / 04:50 PM IST,
    Updated On - October 24, 2024 / 04:50 PM IST

(स्टेफनी गोम्स-एनजी, ऑकलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय)

ऑकलैंड, 24 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) हमारे स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेना एक जटिल और कभी-कभी कठिन प्रक्रिया होती है।

अपने स्वयं के रवैये, अनुभव और दृष्टिकोण के अलावा, हम अन्य लोगों (दोस्तों, परिवार, स्वास्थ्य पेशेवरों) और बाहरी स्रोतों (समाचार या सोशल मीडिया) से इस बारे में जानकारी से अवगत होते हैं कि स्वस्थ रहने का क्या मतलब है।

अपने स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेते समय हम यह सब कैसे समझते हैं? यह कौन सी चीज है जो यह निर्धारित करती है कि हम अपने दृष्टिकोण पर कायम रहते हैं या अपना मन बदलते हैं?

हममें से अधिकतर लोग शायद इससे इत्तेफाक रख सकते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, हमें वायरस के प्रसार को धीमा करने के लिए अपनी कई आदतों को बदलना पड़ा। इसका मतलब था घर से काम करना, मास्क पहनना और अंततः टीका लगवाना।

टीका लगवाने का निर्णय अनेक लोगों के लिए स्पष्ट था, दूसरों के लिए यह उतना आसान नहीं था।

न्यूज़ीलैंड में कोविड रोधी टीका उपलब्ध होने से ठीक पहले की अवधि के शोध से पता चला है कि एक बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग टीकाकरण को लेकर अनिश्चय की स्थिति में था या संभवत: वे टीका नहीं लगवाना चाहते थे।

हमारे नए शोध से पता चलता है कि संज्ञानात्मक (मानसिक) लचीलेपन का टीकाकरण के प्रति दृष्टिकोण से भी कुछ लेना-देना हो सकता है।

एक लचीला मस्तिष्क

पिछले शोध से पता चलता है कि मानसिक लचीलापन हमारे निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कल्पना कीजिए कि आप कार्यस्थल पर कुछ काम करने के तरीके को बदल रहे हैं, किसी अलग राय वाले किसी व्यक्ति के साथ चर्चा कर रहे हैं, या आपको बताया जा रहा है कि आपको स्वस्थ विकल्प चुनना चाहिए (जैसे कि अधिक व्यायाम करना)।

कुछ लोग इन परिस्थितियों से आसानी से निपट लेते हैं। दूसरों का इसके प्रति अनुकूलन अधिक कठिन लगता है। मानसिक लचीलापन नयी या बदलती जानकारी का सामना करने पर हमारे दृष्टिकोण, विचारों या व्यवहार के प्रति अनुकूलन की इस क्षमता का वर्णन करता है।

अध्ययनों से पता चलता है कि मानसिक लचीलापन इस बात पर प्रभाव डालता है कि हमारी राय किस स्तर की है, हम गलत सूचना या ‘‘फर्जी समाचार’’ पर विश्वास करने की कितनी संभावना रखते हैं।

टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के लिए, सरकारें अकसर शिक्षा अभियानों का उपयोग करती हैं जो टीकाकरण की सुरक्षा, प्रभावशीलता और महत्व पर जोर देते हैं। हालांकि, ये अभियान टीकाकरण के बारे में अनिश्चितता की भावनाओं को कम करने में हमेशा सफल नहीं होते हैं।

हम जानना चाहते थे कि क्यों, और हमने सोचा कि मानसिक लचीलापन एक भूमिका निभा सकता है। इसका परीक्षण करने के लिए हमने टीकाकरण के बारे में मत और अनुभवों पर 601 न्यूजीलैंडवासियों की राय जानी।

कुल मिलाकर, हमारे प्रतिभागियों ने टीकाकरण में कुछ बाहरी कारकों की सूचना दी, जिनमें से 97 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें टीके सुलभ या किफायती लगे। यह प्रतिशत आशाजनक है और टीका प्राप्ति को आसान बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को प्रतिबिंबित कर सकता है।

इसकी तुलना में, आंतरिक कारकों ने टीके की अनिश्चितता या इसे लगवाने को लेकर झिझक में बड़ी भूमिका निभाई। विशेष रूप से, लगभग एक चौथाई (22 प्रतिशत) प्रतिभागियों ने टीकों के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में चिंता व्यक्त की और 12 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें टीके विकसित करने वाली प्रक्रियाओं या लोगों पर भरोसा नहीं है।

महामारी से बहुत पहले से ही न्यूजीलैंड सहित दुनिया भर में टीकाकरण दर में गिरावट एक चिंता का विषय रही है। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि यदि संज्ञानात्मक लचीलेपन की भूमिका को ध्यान में रखा जाए तो स्वास्थ्य शिक्षा अभियान अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

(द कन्वरसेशन)

नेत्रपाल वैभव

वैभव