शादीशुदा होने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है : नये अध्ययन में दावा

शादीशुदा होने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है : नये अध्ययन में दावा

शादीशुदा होने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है : नये अध्ययन में दावा
Modified Date: April 12, 2025 / 04:52 pm IST
Published Date: April 12, 2025 4:52 pm IST

(अविनाश चंद्रा, क्वीन मैरी लंदन विश्वविद्यालय)

लंदन, 12 अप्रैल (द कन्वरसेशन) क्या आप मेरी बात पर यकीन करेंगे अगर मैं आपसे कहूं कि अविवाहित रहने या अपनी शादी खत्म करने से डिमेंशिया (मनोभ्रंश) होने की आशंका कम हो सकती है। ‘फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से ये चौंकाने वाली बात पता चली है कि अविवाहित लोगों में डिमेंशिया होने की आशंका कम होती है।

अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि शादीशुदा होने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है। अमेरिका में 2019 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ‘‘अविवाहित लोगों में शोध की अवधि के दौरान उनके विवाहित समकक्षों की तुलना में डिमेंशिया विकसित होने की आशंका काफी अधिक थी।’’

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दरअसल, शादीशुदा लोगों को आम तौर पर बेहतर स्वास्थ्य वाला माना जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि उन्हें हृदय रोग और हृदयघात होने का जोखिम कम होता है और वे लंबे समय तक जीवित रहते हैं। तो नए अध्ययन में यह आश्चर्यजनक निष्कर्ष क्यों आया? आइए इस पर करीब से नजर डालते हैं।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन की शुरुआत में 24,000 से ज्यादा ऐसे अमेरिकियों का विश्लेषण किया, जिन्हें डिमेंशिया नहीं था। प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की 18 साल तक निगरानी की गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि टीम ने चार समूहों – विवाहित, तलाकशुदा, विधवा और अविवाहित – में डिमेंशिया से ग्रसित होने की दरों की तुलना की।

प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत हुआ कि तीन अन्य समूहों में विवाहित समूह की तुलना में डिमेंशिया का जोखिम कम था। लेकिन, परिणामों को प्रभावित करने वाले धूम्रपान और अवसाद जैसे अन्य कारकों को ध्यान में रखने के बाद, केवल तलाकशुदा और अविवाहित लोगों में ही डिमेंशिया का जोखिम कम पाया गया।

डिमेंशिया के प्रकार के आधार पर भी अंतर देखा गया। उदाहरण के लिए, अविवाहित होना अल्जाइमर रोग के कम जोखिम से जुड़ा हुआ पाया गया। अल्जाइमर, डिमेंशिया का सबसे आम रूप है।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि तलाकशुदा या कभी शादी न करने वाले लोगों में रोग के हल्के लक्षणों से डिमेंशिया की ओर बढ़ने की आशंका कम थी और अध्ययन के दौरान जिन लोगों के पति या पत्नी की मृत्यु हो गई, उनमें डिमेंशिया का जोखिम कम था।

अप्रत्याशित परिणामों का एक कारण यह भी हो सकता है कि विवाहित लोगों में रोग के लक्षणों का आसानी से पता चला जाता है क्योंकि उनके जीवनसाथी स्मृति संबंधी समस्याओं पर गौर करते हैं और डॉक्टर से मिलने के लिए दबाव डालते हैं। इससे विवाहित लोगों में डिमेंशिया अधिक आम लग सकता है – भले ही ऐसा न हो।

‘फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी’ के नए अध्ययन में इस मुद्दे (डिमेंशिया) की जांच करने के लिए अब तक के सबसे बड़े नमूनों में से एक का उपयोग किया गया है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि पिछले शोध पर आधारित ये धारणाएं कि पति या पत्नी की मृत्यु होना और तलाक जीवन की बेहद तनावपूर्ण घटनाएं हैं जो अल्जाइमर रोग का जोखिम बढ़ा सकती हैं या कि अविवाहित लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग होते हैं और इसलिए उन्हें डिमेंशिया का अधिक जोखिम हो सकता है, हमेशा सही नहीं हो सकती हैं।

डिमेंशिया, मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी का एक रोग है। इससे स्मृति, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता या व्यवहार प्रभावित होता है।

(द कन्वरसेशन) शफीक देवेंद्र

देवेंद्र


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