बेसिक देशों ने अमीर राष्ट्रों से जलवायु वित्त की अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने को कहा

बेसिक देशों ने अमीर राष्ट्रों से जलवायु वित्त की अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने को कहा

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  • Publish Date - November 14, 2024 / 06:16 PM IST,
    Updated On - November 14, 2024 / 06:16 PM IST

(उज्मी अतहर)

बाकू, 14 नवंबर (भाषा) भारत सहित ‘बेसिक’ देशों ने विकसित राष्ट्रों से जलवायु वित्त प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने को कहा है और यहां जारी सीओपी29 में वार्ता के दौरान अमीर देशों द्वारा अपने वित्तीय दायित्वों को दूसरे पर डालने के प्रयासों को खारिज कर दिया।

वार्षिक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन बृहस्पतिवार को चौथे दिन भी जारी रहा। इसमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन (बेसिक) ने पेरिस समझौता 2015 के पूर्ण व प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत को दोहराया। यह एक कानूनन बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है।

पेरिस समझौते का उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पर्याप्त कमी लाना है, ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जा सके तथा इसे पूर्व-औद्योगिक स्तर (आधार वर्ष 1850-1900) से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक तक सीमित रखने के प्रयासों को जारी रखा जा सके।

भारत, मिस्र और लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियाई देशों के गठबंधन (एआईएलएसी) ने भी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को बाध्यकारी समझौतों में परिवर्तित करने के लिए स्पष्ट राह बनाने का आह्वान किया।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन सीओपी29 में बुधवार और बृहस्पतिवार को हुई वार्ता के दौरान, जी-77/चीन समूह, जिसमें भारत भी शामिल है, ने जलवायु वित्त पर एक संतुलित नए सामूहिक लक्ष्य (एनसीक्यूजी) का आह्वान किया, जो विकासशील देशों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी हो।

समूह ने वित्तीय तंत्र द्वारा समर्थित प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन कार्यक्रम की भी मांग की।

विकसित देशों ने वैश्विक जलवायु लक्ष्य को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित सभी देशों से अपने ‘नेट जीरो’ लक्ष्यों और कार्यान्वयन प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान किया है।

‘नेट जीरो’ से तात्पर्य उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस की मात्रा और वायुमंडल से हटाई गई इसकी मात्रा के बीच संतुलन से है।

हालांकि, इन अमीर देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण रूप से पूरा न करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जलवायु वित्त और विकासशील देशों के लिए समर्थन के मामले में।

इसके जवाब में, भारत ने ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन के साथ मिलकर बेसिक समूह के हिस्से के रूप में पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता दोहराई।

कई वार्ताकारों ने पीटीआई-भाषा से पुष्टि की, ‘‘बेसिक समूह ने विकसित देशों द्वारा अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को दूसरे पर डालने के प्रयासों को अस्वीकार कर दिया।’’

ब्राजील के एक वार्ताकार ने बताया कि गरीब, विकासशील देशों ने अमीर, विकसित देशों से जलवायु वित्त प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए कहा, न कि वे अपने ‘‘दायित्वों को कम करें।’’

इस बीच, छोटे द्वीपीय देशों के गठबंधन (एओएसआईएस) ने कहा कि वर्तमान वित्तीय प्रतिबद्धताएं सार्थक जलवायु कार्रवाई के लिए आवश्यक राशि से बहुत कम हैं, जिससे तत्काल और बड़े पैमाने पर अंशदान की आवश्यकता को बल मिलता है।

एक अन्य वार्ताकार ने बताया कि इन बढ़ते दबावों के साथ, सीओपी29 के सह-अध्यक्षों ने घोषणा की कि वे इन व्यवस्थाओं को औपचारिक रूप देने के लिए एक मसौदा निर्णय तैयार करेंगे।

अरब समूह और कोरिया गणराज्य ने इस बात पर भी जोर दिया कि देशों के लिए दिशानिर्देश पेरिस समझौते की शर्तों के अनुरूप होने चाहिए, जिसमें सामूहिक रूप से तापमान वृद्धि को नियंत्रण में रखने के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को प्रतिबंधित करने को लेकर प्रत्येक राष्ट्र द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की निगरानी की जानी चाहिए।

भारत ने शीर्ष स्तर से किये जाने वाले किसी भी नये विनियमन का विरोध करते हुए तर्क दिया कि ये जलवायु प्रतिबद्धताओं में राष्ट्रीय संप्रभुता से समझौता करते हैं।

एक वार्ताकार ने कहा, ‘‘जापान और अमेरिका सहित विकसित देशों ने सभी राष्ट्रों द्वारा जलवायु लक्ष्यों की मात्रा निर्धारित करने पर जोर दिया और लक्ष्यों को 1.5 डिग्री सेल्सियस सीमा तक रखने की वकालत की। इसका कम विकसित देशों (एलडीसी) ने समर्थन किया, लेकिन भारत ने इसका विरोध किया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, चर्चा आगे बढ़ने के साथ-साथ, अरब समूह ने विकसित देशों से अपने वित्तीय समर्थन को बढ़ाने का आग्रह किया, जबकि भारत, एआईएलएसी और मिस्र ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित देशों को अपने वादों को औपचारिक रूप देकर जलवायु वित्त के वादे को पूरा करना चाहिए।

इस बीच, यहां जलवायु शिखर सम्मेलन में जारी की गई संयुक्त राष्ट्र की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2023 से प्रमुख निगमों के बीच स्वैच्छिक ‘नेट जीरो’ प्रतिबद्धताओं में 23 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, केवल एक अंश ही 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के साथ संरेखण के लिए उच्च मानकों को पूरा करता है।

रिपोर्ट में, 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने के लिए व्यवसायों, शहरों और वित्तीय संस्थानों से अधिक मजबूत, अधिक पारदर्शी जलवायु प्रतिबद्धताओं की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।

‘ईमानदारी मायने रखती है: अब कड़ी मेहनत करनी है’ रिपोर्ट विभिन्न क्षेत्रों में नेट जीरो की दिशा में प्रयासों में प्रगति और कमी को रेखांकित करती है।

भाषा सुभाष माधव

माधव