बांग्लादेश : छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच उच्च न्यायालय के 12 न्यायाधीशों पर प्रतिबंध

बांग्लादेश : छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच उच्च न्यायालय के 12 न्यायाधीशों पर प्रतिबंध

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  • Publish Date - October 16, 2024 / 08:03 PM IST,
    Updated On - October 16, 2024 / 08:03 PM IST

ढाका, 16 अक्टूबर (भाषा) बांग्लादेश में “अवामी लीग समर्थक फासीवादी न्यायाधीशों” को हटाने की मांग को लेकर छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के 12 न्यायाधीशों को न्यायिक गतिविधियों से बुधवार को निलंबित कर दिया।

अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार का विवादित आरक्षण प्रणाली के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के बाद अगस्त में पतन हो गया था। हसीना पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर चली गई थीं।

अखबार ‘द डेली स्टार’ की खबर के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश सय्यद रफात अहमद ने यह फैसला तब लिया, जब भेदभाव विरोधी आंदोलन में शामिल सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्रों ने बुधवार को उच्च न्यायालय परिसर को घेर लिया और “अवामी लीग समर्थक फासीवादी न्यायाधीशों” को हटाने की मांग की।

खबर में उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल अजीज अहमद भुइयां के हवाले से कहा गया है, “(उच्च न्यायालय) के 12 न्यायाधीशों को पीठ आवंटित नहीं की जाएगी, जिसका मतलब यह है कि उन्हें 20 अक्टूबर को अदालतों में अवकाश समाप्त होने के बाद न्यायिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी।”

समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के अनुसार, छात्रों ने उच्चतम न्यायालय परिसर में अपना विरोध-प्रदर्शन शुरू करते हुए अवामी लीग से जुड़े उन न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग की, जो “पार्टी लाइन पर चल रहे हैं।”

इन न्यायाधीशों को न्यायिक गतिविधियों से निलंबित किए जाने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपना विरोध रविवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर में भुइयां के हवाले से कहा गया है कि यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि उक्त 12 न्यायाधीशों ने इस्तीफा नहीं दिया था और उन्हें हटाने के लिए कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं था।

खबर के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संयोजक सरजिस आलम ने कहा कि छात्र शेख हसीना, अवामी लीग, “फासीवादी सरकार” और “पक्षपाती” न्यायाधीशों से जुड़े न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

भाषा पारुल माधव

माधव