ढाका, 28 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश के प्रधान न्यायाधीश डॉ. सैयद रेफात अहमद ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की शीर्ष और निचली अदालतों में घटी अप्रिय घटनाओं ने उन्हें बहुत चिंतित कर दिया है।
ऐसी ही एक घटना में वकीलों के एक समूह ने एक खुले अदालत कक्ष में शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश पर हमला करने की कोशिश की और पिछले दो दिन में एक अन्य वकील की हत्या कर दी गई।
इस तरह के एक दुर्लभ बयान में, अहमद ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय में हाल की घटनाओं और देश भर में न्यायिक परिसरों में हुई घटनाओं को लेकर ‘बहुत चिंतित’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनौतियों के बावजूद न्यायिक प्रक्रिया में कोई बाधा न आए, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उनके कार्यालय ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए शीर्ष अदालत के साथ-साथ जिला न्यायालयों और मजिस्ट्रेट अदालतों के परिसरों में ‘व्यापक उपाय’ लागू किए हैं और सभी अदालतों और न्यायाधिकरणों से अपना काम सामान्य रूप से जारी रखने को कहा है।
उनके कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘‘हाल के दिनों में न्यायालयों में कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। सर्वोच्च न्यायालय इस बात को लेकर सतर्क है कि लोग बिना किसी बाधा के न्यायालयों से सेवाएं प्राप्त कर सकें।’’
प्रधान न्यायाधीश ने सभी न्यायालयों और न्यायाधिकरणों को अपना कार्य सामान्य रूप से जारी रखने के लिए स्पष्ट निर्देश भी जारी किए, जिसमें राष्ट्र के व्यापक हित में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया।
वकीलों के एक समूह ने बुधवार को न्यायालय कक्ष में धावा बोल दिया और सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मोहम्मद अशरफुल कमाल पर अंडे फेंके, जिससे उन्हें अचानक सत्र समाप्त करके साथी न्यायाधीश के साथ अदालत से जाना पड़ा।
वकीलों ने आरोप लगाया कि कमाल ने 2016 में ‘‘एक फैसले में दिवंगत राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बारे में नकारात्मक टिप्पणी की थी।’’
बांग्लादेश में 26 नवंबर को एक सरकारी अभियोजक की हत्या कर दी गई थी, जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के समर्थकों ने उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्हें जेल ले जाने वाले वाहन को रोक दिया था।
दास को देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, जिससे राजधानी ढाका और चटगांव सहित विभिन्न स्थानों पर समुदाय के सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
भाषा वैभव माधव
माधव