बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ‘घृणास्पद भाषणों’ के प्रसार पर प्रतिबंध

बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ‘घृणास्पद भाषणों’ के प्रसार पर प्रतिबंध

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  • Publish Date - December 5, 2024 / 07:58 PM IST,
    Updated On - December 5, 2024 / 07:58 PM IST

ढाका, पांच दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ‘‘घृणास्पद भाषणों’’ के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।

न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

यह आदेश हसीना के हालिया भाषण के बाद आया है, जो पांच अगस्त को देश छोड़ कर जाने के बाद उनका पहला सार्वजनिक संबोधन था।

संबोधन में उन्होंने देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर ‘नरसंहार’ करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था।

आईसीटी के अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने संवाददाताओं को बताया, ‘न्यायाधिकरण ने सभी प्रकार के मीडिया और सोशल मीडिया पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के किसी भी घृणास्पद भाषण के प्रसारण, प्रकाशन और प्रसार पर प्रतिबंध लगा दिया है।’

उन्होंने कहा कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान नरसंहार के संदिग्ध लोगों और पाकिस्तानी सैनिकों के स्थानीय सहयोगियों के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने के लिए 2009 में गठित न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एवं मास मीडिया से उनकी कथित भड़काऊ टिप्पणियों से संबंधित सभी पोस्ट हटाने का आदेश दिया।

हसीना (77) को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा।

अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।

हसीना भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुए विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर पांच अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत चली गई थीं। इसके तीन दिन बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बनी, जिसका प्रमुख या मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को बनाया गया।

दो महीने पहले मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में यूनुस ने कहा था कि हसीना को बांग्लादेश में और अधिक जन आक्रोश पैदा करने से बचने के लिए बोलना बंद कर देना चाहिए।

आईसीटी ने पिछले महीने जांच टीम को हसीना और अन्य लोगों के खिलाफ नरसंहार के आरोपों की जांच पूरी करने और 17 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा था।

न्यूयॉर्क में हुए एक कार्यक्रम में अपने समर्थकों को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए हसीना ने यह दावा भी किया था कि उन्हें और उनकी बहन शेख रेहाना को मारने की योजना बनाई जा रही है, ठीक उसी तरह जैसे 1975 में उनके पिता शेख मुजीब उर रहमान की हत्या की गई थी।

यूनुस को ‘‘सत्ता का भूखा’’ बताते हुए फिलहाल भारत में रह रहीं हसीना ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में पूजा स्थलों पर हमले हो रहे हैं और मौजूदा सरकार इस स्थिति से निपटने में पूरी तरह विफल रही है।

हसीना रविवार को, 16 दिसंबर को मनाए जाने वाले विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी पार्टी अवामी लीग के समर्थकों को संबोधित कर रही थीं।

हाल ही में एक जापानी अखबार को दिए साक्षात्कार में यूनुस ने दोहराया कि आईसीटी में मुकदमा समाप्त होने के बाद भारत को हसीना को प्रत्यर्पित कर देना चाहिए।

यूनुस ने कहा, ‘‘ मुकदमा समाप्त हो जाने और फैसला आ जाने के बाद, हम औपचारिक रूप से भारत से उन्हें सौंपने का अनुरोध करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, ‘‘भारत इसका पालन करने के लिए बाध्य होगा।’’

बांग्लादेश में घटनाक्रम पर करीबी नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ ने बताया कि हसीना ने पिछले कुछ महीनों में कई बयान दिए हैं, लेकिन शरण लेने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक संबोधन था।

इससे पहले अभियोजक गाजी एम एच तमीम ने इस संबंध में मीडिया से कहा कि केवल बांग्लादेश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के हर कानून तथा हर देश में घृणास्पद भाषण देना एक अपराध है।

तमीम ने दावा किया, ‘‘शेख हसीना ने भाषण दिए हैं, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि उन्हें 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिला है, क्योंकि उनके खिलाफ इतने ही मामले दर्ज किए गए हैं।”

भाषा रंजन जोहेब

जोहेब