नई दिल्ली: Ayatollah Ali Khamenei Latest News ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव के बीच ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयतुल्लाह अली खामेनेई की हालत नाजुक है, जिसके चलते उन्होंने अपने नए उत्तराधिकार का चुनाव किया है। बताया जा रहा है कि आयतुल्लाह अली खामेनेई ने अपने बेटे मुजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकार बनाया है। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि वह नहीं चाहते कि उनकी मौत के बाद सत्ता का संघर्ष हो इसलिए अपने बेटे को जिम्मेदारियां दे दी हैं। बता दें कि खामेनेई 85 साल के हैं और काफी बीमार चल रहे हैं।
Ayatollah Ali Khamenei Latest News जानकारों की मानें तो ईरान की एक्सपर्ट असेंबली ने दो महीने पहले ही नए सुप्रीम लीडर का चुनाव कर लिया था। बताया जा रहा है कि खामेनेई ने दो महीने पहले ही गुप्त रूप से असेंबली की बैठक बुलाकर प्रस्ताव रखा था। इस बैठक के सभी सदस्यों ने मोजतबा खामेनेई के नाम पर मुहर लगा। बता दें कि मोजतबा इससे पहले सरकार में किसी पद पर नहीं थे।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस फैसले को गुप्त रखने को भी कहा गया था जिससे कि किसी तरह का विरोध ना हो। दरअसल डर इस बात कहा है कि इस तरह से अलोकतांत्रिक तरीके से सुप्रीम लीडर के चुनाव को लेकर ईरान की जनता भड़क भी सकती है। ऐसे में विरोध प्रदर्शन की आशंका की लजह से इस फैसले को गुप्त रखने को कहा गया था।
खामेनेई ने अपने बड़े बेटे मुस्तफा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया है। इसकी कोई वजह भी सामने नहीं आई है। जानकारी के मुताबिक मोजतबा अब तक सार्वजनिक रूप से ज्यादा दिखाई नहीं देते थे। हालांकि उनका प्रभाव पूरे देश में बना हुआ है। बताया जाता है कि खुफिया एजेंसियों और सरकार में भी मोजतबा के विश्वसनीय लोग हैं। वहीं पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद उनका ओहदा और बढ़ता चला गया।
आयतुल्लाह खामनेई पिछले 35 साल से ईरान की सर्वोच्च सत्ता पर हैं। 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई थी। रुहोल्लाह खामेनेई ने मोहम्मद रजा पहलवी को हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 1981 में वह राष्ट्रपति बने। 1989 में सुप्रीम लीडर खुमैनी की मौत के बाद वह उत्तराधिकारी हो गए।
दरअसल आयतुल्लाह एक धार्मिक पदवी है और सुप्रीम लीडर होने के लिए यह पदवी मिला जरूरी है। हालांकि खामेनेई पहले धार्मिक नेता नहीं थे। ऐसे में कानून में बदलाव करके उन्हें सुप्रीम लीडर बनाया गया था। ईरान में सुप्रीम लीडर का पद राष्ट्रपति से भी बड़ा होता है। सुप्रीम लीडर का फैसला ही आखिरी माना जाता है।