Right to Disconnect: वर्किंग आवर के बाद कर्मचारियों को फोन-मेल करने पर लगेगा जुर्माना, लागू हुआ राइट टू डिस्कनेक्ट कानून

Right to Disconnect: वर्किंग आवर के बाद कर्मचारियों को फोन-मेल करने पर लगेगा जुर्माना, लागू हुआ राइट टू डिस्कनेक्ट कानून

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  • Publish Date - August 27, 2024 / 02:33 PM IST,
    Updated On - August 27, 2024 / 03:17 PM IST

Right to disconnect Australian: क्या आप भी ऑफिस से काम के बाद या छुट्टी वाले दिन अपने बॉस के आने वाले मैसेज से परेशान हो गए हैं तो गुड न्यूज है। कर्मचारियो को राहत देने के एक नया कानून बनाया गया है, जिसका नाम हा राइट टू डिस्कनेक्ट। इस कानून के तहत अब ऑस्ट्रेलिया के कर्मचारी छुट्टी के दिन बॉस के अनचाहे कॉल को नजरअंदाज कर सकते हैं। ये नया कानून कर्मचारियों को छूट देता है कि वे ऑफिस के घंटों के बाद अपने बॉस का फोन न उठाएं, या ईमेल का जवाब न दें।

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कानून का उल्लंघन करने पर लगेगा फाइन 

इस कानून के आने के बाद ऑफिस के घंटों के बाद ईमेल या फोन आने रुक तो नहीं जाएंगे। लेकिन, इसके लिए दोनों पक्षों की बात होगी, जिसमें तय किया जाएगा कि फोन करने के लिए सही और गलत समय कौन सा है। इससे कर्मचारी अपने काम के घंटों पर कंट्रोल पा सकेंगे। अगर कोई उच्च अधिकारी गलत समय पर कॉल करे तो उसकी शिकायत भी की जा सकेगी। इतना ही नहीं शिकायत मिलने पर बातचीत और मध्यस्थता के अलावा कड़े फैसले भी ले सकता है। जो कंपनियां लगातार नियम की अनदेखी करेंगी उनपर फाइन लग सकता है। अगर कोई उच्च कर्मचारी लगातार ऐसा करे तो उसपर व्यक्तिगत तौर पर भी जुर्माना लग सकता है। वहीं, कंपनियों पर कॉर्पोरेट फाइन भी लगेगा।

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20 देशों में लागू हो चुका है नियम

बता दें कि अमेरिका और यूरोप के लगभग 20 देशों में ये नियम पहले ही लागू किया जा चुका है। दरअसल, साल 2022 में सेंटर फॉर फ्यूचर वर्क एट ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट का एक सर्वे आया था, जो कहता है कि 10 में 7 लोग काम के घंटों के अलावा भी काम करने को मजबूर हैं। इस ओवरटाइम के पैसे भी नहीं मिलते। इससे काफी पहले से ही किसी ऐसे कानून की बात हो रही थी, जिसमें ऑफिस के घंटों के बाद कमर्चारी फोन या ईमेल देखने को मजबूर न हों। अब ये कानून राइट टू डिसकनेक्ट के नाम से लागू भी हो चुका।

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वर्किंग आवर के बाद काम की टेंशन

ज्यादातर देखा जाता है कि  हर नौकरी में कर्मचारियों पर वर्किंग आवर के बाद भी बड़े अधिकारियों के फोन उठाने का दबाव रहता है। प्राइवेट सेक्टर में कई बार फोन या ईमेल का जवाब न देने पर तो कभी-कभी नौकरी जाने का खतरा तो कभी प्रमोशन न मिलने की टेंशन रहती है। इतना ही नहीं ओवरटाइम के भी पैसे नहीं दिए जाते। सेंटर फॉर फ्यूचर वर्क एट ऑस्ट्रेलिया इंस्टीट्यूट ने माना कि पिछले साल देश के लोगों ने औसतन 281 घंटों का ओवरटाइम किया।

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स्वास्थ्य पर पड़ रहा गहरा असर

एवरेज वेज रेट के अनुसार, इतने घंटों की सैलरी लगभग 7500 डॉलर होती है। लेकिन, न तो ओवरटाइम दिया गया, न ही काम के घंटों में कटौती हुई। इसका असर लोगों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी हो रहा है। ऐसा सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में नहीं बल्कि कोविड के समय से ये पैटर्न पूरी दुनिया में दिखने लगा। इसी पर रोक लगाने के लिए देश अपनी-अपनी तरह से कोशिश कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी फेयर वर्क एक्ट के तहत राइट टू डिसकनेक्ट कानून आ गया। वहीं, कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं।

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इन देशों में लागू हो चुका है नियम

फ्रांस में साल 2017 में ही राइट टू डिसकनेक्ट पर कानून आ चुका था। इसके अलावा इटली, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, चिली, जर्मनी, लग्जमबर्ग, अर्जेंटिना समेत कई देशों में ये नियम है। वहीं, अमेरिका में आंशिक तौर पर इसका अधिकार है, जिसके तहत काम के घंटे खत्म होने के बाद कर्मचारी अपना फोन और ऑफिस में काम आने वाली चीजें बंद कर सकता है।

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