Madhubala is also on the verge of death इस्लामाबाद: पाकिस्तान में अब आदमी रोटी के लिए ही नहीं बल्कि जानवर भी अपनी जान बचाने के लिए संषर्ष कर रहे हैं। रमजान के पाक महीने में पाकिस्तानी अवाम आटे के लिए मारकाट में व्यस्त थे। लेकिन, पाकिस्तान के हालात इतने बुरे हैं कि अब जानवरों को भी अपनी जान बचाने के लिए जंग करनी पड़ रही है। पिछले महीने ही कराची चिड़ियाघर में 18 साल की एक हाथी नूरजहां की दर्दनाक मौत हुई थी। अब उसी चिड़ियाघर में मधुबाला नाम की एक दूसरी हाथी मौत के कगार पर खड़ी है। नूरजहां और मधुबाला पहले एक साथ ही रहते थे, लेकिन नूरजहां की मौत के बाद मधुबाला को एकांत कारावास में रख दिया गया था।
शनिवार को कराची चिड़ियाघर प्रशासन ने मधुबाला के संक्रमित होने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि संक्रमण की जानकारी लाहौर के यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज (यूवीएएस) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मधुबाला के खून की जांच के बाद हुई है। नूरजहां और मधुबाला को 14 साल पहले तंजानिया से कराची लाया गया था। दोनों को बहुत ही कम उम्र में उनकी मां से अलग कर दिया गया था।
कराची चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने नाम न छापने पर बताया कि ऐसा लगता है कि मधुबाला को नूरजहा से संक्रमण हुआ था। नूरजहां के पोस्टमॉर्टम से पता चला था कि वह कई गंभीर बीमारियों के अलावा संक्रमण से ग्रस्त थी। उसने बताया कि यह पहला मौका है, जब चिड़ियाघर के किसी जानवर के खून की इतनी विस्तृत जांच की गई है। उसने बताया कि मधुबाला का हाल में ही इलाज किया गया है। संक्रमण का स्तर उसकी साथी नूरजहां से काफी कम है।
नूरजहां का पिछले साल एक पुरानी दांत के संक्रमण के बाद ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने नूरजहां की अच्छी देखभाल नहीं की। इसका नतीजा यह हुआ कि नूरजहां को लकवा मार गया। जब नूरजहां की बीमारी की चर्चा पूरे पाकिस्तान में होने लगी तो पशु कल्याण के लिए काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ फोर पॉज ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। लाख प्रयास के बावजूद नूरजहां को नहीं बचाया जा सका और पिछले महीने उसकी मौत हो गई।