अबू मोहम्मद अल-गोलानी: सीरिया में बशर अल-असद की करीब ढाई दशक की सत्ता का किया अंत

अबू मोहम्मद अल-गोलानी: सीरिया में बशर अल-असद की करीब ढाई दशक की सत्ता का किया अंत

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  • Publish Date - December 8, 2024 / 07:48 PM IST,
    Updated On - December 8, 2024 / 07:48 PM IST

बेरूत, आठ दिसंबर (एपी) सीरिया के विद्रोही गुट ‘हयात तहरीर अल-शाम’ समूह (एचटीएस) के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल कर दिया। गोलानी ने अपनी सार्वजनिक छवि को फिर से बनाने के लिए कई वर्षों तक काम किया और अलकायदा से दूरी बनाते हुए खुद को बहुलवाद और सहिष्णुता के समर्थक के रूप में पेश किया।

हाल के दिनों में, विद्रोहियों ने उसका उपनाम भी हटा दिया और उसे उसके असली नाम अहमद अल-शरा से संदर्भित करना शुरू कर दिया।

सीरिया की राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने और राष्ट्रपति असद के देश छोड़कर भागने संबंधी दावों के बीच सरकार गिरने के साथ ही असद परिवार के 50 साल के शासन का रविवार तड़के अप्रत्याशित अंत हो गया और लोगों ने सड़कों पर उतरकर इसका जश्न मनाया।

सीरिया में कई जातीय और धार्मिक समुदाय रहते हैं, जो अक्सर असद के शासन और वर्षों के युद्ध के कारण एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते हैं। उनमें से कई लोगों को इस बात की आशंका है कि सुन्नी इस्लामी चरमपंथी सत्ता पर कब्जा कर लेंगे। देश अलग-अलग सशस्त्र गुटों में भी बंटा हुआ है और रूस तथा ईरान से लेकर अमेरिका, तुर्किये और इजराइल तक सभी विदेशी ताकतें अपने प्रभाव का इस्तेमाल करती हैं।

अल-गोलानी (42) को अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किया हुआ है। रविवार को दमिश्क पर हुए हमले के बाद से गोलानी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है।

लेकिन वह और उसका विद्रोही संगठन एचटीएस एक प्रमुख भूमिका में नजर आ रहे हैं।

वर्षों तक अल-गोलानी ने सत्ता को मजबूत करने के लिए काम किया। सीरिया के इदलिब प्रांत में उसका वर्चस्व रहा है जबकि देश के ज्यादातर हिस्सों पर असद का ईरान और रूस समर्थित शासन मजबूत दिखाई दे रहा था।

पिछले सप्ताह ‘सीएनएन’ को दिए गए एक साक्षात्कार में उसने कहा था, ‘‘सीरिया को एक संस्थागत शासन प्रणाली की आवश्यकता है, न कि एक शासक द्वारा मनमाने निर्णय लेने की।’’ उसने संभावना जताई कि असद के पतन के बाद एचटीएस को भी भंग कर दिया जाएगा।

अल-गोलानी का अलकायदा से संबंध 2003 से था, जब वह इराक में अमेरिकी सैनिकों से लड़ने वाले चरमपंथियों में शामिल हो गया था। सीरियाई मूल निवासी को अमेरिकी सेना ने हिरासत में ले लिया था, लेकिन वह इराक में ही रहा। उस दौरान अबू बक्र अल-बगदादी के नेतृत्व में चरमपंथी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक का गठन किया गया।

वर्ष 2011 में सीरिया में असद के खिलाफ जन-विद्रोह के कारण सरकार ने क्रूर दमनात्मक कार्रवाई की और पूर्ण युद्ध की स्थिति पैदा हो गई। अल-गोलानी तब सुर्खियों में आया जब अल-बगदादी ने उसे नुसरा फ्रंट नामक अलकायदा की एक शाखा बनाने के लिए सीरिया भेजा।

वर्ष 2013 में जब सीरिया में गृहयुद्ध तेज हुआ, तो अल-गोलानी की महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ गईं। उसने नुसरा फ्रंट को भंग करने और इसे इराक में अल-कायदा के अभियान में विलय करने संबंधी अल-बगदादी के आह्वान को खारिज कर दिया था।

वर्ष 2021 में, अल-गोलानी ने पीबीएस पर एक अमेरिकी पत्रकार के साथ अपना पहला साक्षात्कार दिया था। एचटीएस प्रमुख ने कहा था कि उसके समूह से पश्चिमी देशों को कोई खतरा नहीं है और उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध अनुचित हैं।

उसने कहा था, ‘‘हां, हमने पश्चिमी नीतियों की आलोचना की है। लेकिन सीरिया से अमेरिका या यूरोप के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात सच नहीं है। हमने यह नहीं कहा कि हम लड़ना चाहते हैं।’’

एपी

देवेंद्र धीरज

धीरज