पोंट-सोंडे (हैती), आठ अक्टूबर (एपी) मध्य हैती के छोटे से शहर पोंट-सोंडे में बृहस्पतिवार को रात के अंधेरे में एक गिरोह के सदस्यों ने हमला कर 70 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
गिरोह के दर्जनों सदस्यों के पास चाकू और राइफलें थी। हमले के दौरान लोग सो रहे थे।
गोलियों और चीख-पुकार से पूरा शहर जाग उठा। जो लोग गोली से बच गए, उन्हें चाकू घोंप दिया गया। हमलावरों ने घरों को जलाकर खाक कर दिया।
ग्रान ग्रिफ गिरोह ने शिशुओं और महिलाओं तथा बुजुर्गों समेत पूरे परिवारों को मारा डाला। गिरोह के लोग इस बात से नाराज थे कि एक आत्म-रक्षा समूह ने पोंट-सोंडे में गिरोह की गतिविधि को सीमित करने की और हाल ही में उन्हें एक नजदीकी सड़क पर स्थापित किए गए अस्थायी टोल से वसूली करने से रोकने की कोशिश की थी।
बृहस्पतिवार को हुए हमले में 70 से अधिक लोगों की हत्या के बाद गिरोह के सदस्य पास में ही स्थित चावल के खेतों से होकर पैदल ही भाग गए।
यह हाल के इतिहास में हैती के शांतिपूर्ण केंद्रीय क्षेत्र में सबसे बड़ा नरसंहार था। हज़ारों लोग अब अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनकी नौकरियाँ, घर और परिवार छिन गए हैं।
हमले के दौरान अपने घर के बगल के गलियारे में दुबके हुए जेम्सन फ़र्मिलस बाद में 6,000 से अधिक अन्य लोगों के साथ सुरक्षा की तलाश में घंटों पैदल चल कर एक जगह पहुंचे।
60 वर्षीय सोनीस मोरिनो ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि हम क्या करने जा रहे हैं। हमारे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। कहां जाएं?’
हज़ारों लोग पश्चिम की ओर तटीय शहर सेंट-मार्क पहुंचे। नरसंहार के कुछ दिनों बाद, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ एक नेक इंसान के इर्द-गिर्द इकट्ठी हुई जो अपनी कार के ऊपर खड़ा होकर लोगों को खाना और पेय पदार्थ बांट रहा था।
बेघर हुए लोग एक चर्च, एक स्कूल और पेड़ों की छाया में एक सार्वजनिक चौक में जमा हो गए। जिन लोगों को खाना मिला, वे धूल भरे फुटपाथ पर बैठकर खाना खाते रहे। रात में, वे कंक्रीट के फर्श पर सोने की कोशिश करने लगे लेकिन खौफ़ की वजह से उन्हें नींद नहीं आई।
मेयर मायरियम फ़िवरे ने बचे हुए लोगों से मुलाकात के दौरान कहा ‘ये मौतें अकल्पनीय हैं।’’
संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, बेघर हुए 6,270 लोगों में से अधिकतर लोग आस-पास के इलाकों में अपने रिश्तेदारों के पास अस्थायी तौर पर रह रहे हैं। लेकिन 750 से ज़्यादा लोगों के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। ये लोग हाल के वर्षों में हैती में गिरोह हिंसा के कारण बेघर हुए 700,000 से ज़्यादा लोगों में शामिल हो गए हैं।
एपी योगेश मनीषा
मनीषा