6 Feb International day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: पूरी दुनिया आज कई तरह के धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों या कहे रूढ़िवादिता से घिरी हुई हैं। कई रूढ़िवाद जो हमें समाज से अलग करते हैं तो कई ऐसे भी हैं जो शारीरिक तौर पर हमें पीड़ा देते हैं। इन्ही में से एक हैं महिलाओं की जननांग विकृति या कहे महिलाओं का खतना। ये ठीक उसी तरह से होता है जिस तरह से पुरुषों का खतना होता है। छोटी लड़कियों के प्राइवेट पार्ट को ब्लेड या फिर उस्तरे से थोड़ा सा काटा जाता है। इसे रिवाज का नाम दिया जाता है और भारत सहित दुनिया के कई देशों के कई धर्मों में इस रिवाज को आज भी फॉलो किया जाता है।
6 Feb International day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: दरअसल, फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन एक बहुत ही दर्दनाक प्रोसेस है जिससे लड़कियों को गुजरना पड़ता है। इन बुराइयों के बावजूद आज भी कई देशो में इस नियम का पालन करते हुए महिलाओं के जननांगो को विकृत किया जा रहा हैं जिसके खिलाफ अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठने लगी हैं और यही वजह हैं की हर साल 6 फरवरी को संपूर्ण विश्व में ‘महिला जननांग विकृति के विरुद्ध शून्य सहनशीलता का अंतरराष्ट्रीय दिवस’मनाया जाता है।
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6 Feb International day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: महिला जननांग विकृति अंतर्राष्ट्रीय दिवस लड़कियों और महिलाओं के लिए जननांग विकृति पर जागरूकता पैदा करने तथा उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा 2003 में की गई थी। महिला जननांग विकृति को जननांग खतना या जननांग को आंशिक और पूरी तरह हटाने या अचिकित्सा कारणों मुख्य रूप से सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर महिला प्रजनन अंगों की क्षति के नाम से भी जाना जाता है।
6 Feb International day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: इस पीड़ा से गुजर्राही लड़कियों और महिलाओं का एक चौंकाने वाला आंकड़ा भी जारी किया गया हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लगभग 120- 140 मिलियन से अधिक लड़कियां और महिलाएं महिला जननांग विकृति के कुछ प्रकारों के तहत गुजरती हैं। जननांग विकृति का शिकार सबसे अधिक लड़कियां और महिलाएं अफ़्रीका के 28 देशों और कुछ एशियाई देशों में होती हैं। लेकिन अब यह प्रथा यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में भी सिर उठा रही है. प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख महिला जननांग विकृति के जोखिम से पीड़ित होती हैं। वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।