World Siickle cell Awareness day: मां-बाप से विरासत में मिली ऐसी बीमारी, जो ले सकती है आपकी जान

World Siickle cell Awareness day: मां-बाप से विरासत में मिली ऐसी बीमारी, जो ले सकती है आपकी जान

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  • Publish Date - June 19, 2020 / 04:49 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:48 PM IST

रायपुर। 19 जून को दुनिया भर में ‘विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है। ‘सिकल सेल’ खून में पलने वाली एक ऐसी बीमारी जो मरीज की जान भी ले सकती है। सिकलसेल एक ऐसी बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में पहुंचती है। यानि कि यह अनुवांशिक होता है। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जागरूक मरीज उपचार के जरिए सामान्य जीवन जी सकता है।

विशेषज्ञों की मानें तो यह एक पैदाइशी बीमारी है। शरीर में अलग-अलग हीमोग्लोबिन होता है। यह हीमोग्लोबिन ‘एस’ होता है जिसका आकार अंग्रेजी अक्षर एस व हंसिया जैसा होता है। सिकल सेल रोग (एससीडी) हीमोग्लोबिन की विरासत में मिली आनुवांशिक असामान्यता है। यह असामान्यता छोटी ब्लड सेल्स में फंस जाती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन धीमा हो जाता है। इसमें मरीज के शरीर में खून की कमी होने लगती है। सामान्य आरबीसी की उम्र तकरीबन 120 दिन होती है, जबकि ये दोषपूर्ण सेल अधिकतम 10 से 20 दिन तक जीवित रह पाते हैं।

आमतौर पर हीमोग्लोबिन का आकार ‘ओ’ शेप का होता है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। हालांकि इस रोग में हीमोग्लोबिन के दोषपूर्ण आकार के कारण लाल रक्त कोशिकाएं एक-दूसरे के साथ जुड़कर क्लस्टर बना लेती हैं और रक्त वाहिकाओं में आसानी से बह नहीं पातीं। ये क्लस्टर धमनियों और शिराओं में बाधा बन जाते हैं जिसकी वजह से ऑक्सीजन से युक्त रक्त का प्रवाह शरीर में ठीक से नहीं हो पाता। हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार इस रोग में भारत दूसरे स्थान पर है।

छत्तीसगढ़ में सिकल सेल को स्थिति
छत्तीसगढ़ में सिकल सेल की बीमारी से 25 लाख लोग ग्रसित हैं, जिनमें से 10 हजार लोगों को प्रदेश के सिकल सेल सेंटरों में नियमित उपचार मिल रहा है। वहीं, यहां 3 लाख मरीज पूरी तरह से इस बीमारी को चपेट में आ चुके हैं। देखा जाए तो यह बीमारी कोई जाति या समुदाय तक सीमित नहीं हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुर्मी और तेली जाति के लोगों में सिकल सेल के बहुतायत मरीज सामने आए हैं। इस बीमारी को रोकने के लिए शादी से पूर्व सिकलसेल कुंडली मिलान जरूरी है, लेकिन इसके लिए लोगों में जागरूकता नहीं है। वहीं, प्रदेश के मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में इसके पीड़ित अधिक हैं। हालांकि सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में सिकल सेल सेंटर खोलने का ऐलान किया है।

जानिए क्या है सिकल सेल और इसके लक्षण
सिकल सेल रोग (एससीडी) या सिकल सेल एनीमिया (रक्ताल्पता) लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की एक प्रमुख वंशानुगत असामान्यता है, जिसमें इन लाल रक्त कोशिकाएं का आकार अर्धचंद्र/हंसिया(सिकल) जैसा हो जाता है। ये असामान्य आकार की लाल रक्त कोशिकाओं कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं और रक्त वाहिकाओं में फंस जाती हैं, जिससे शरीर के कई हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह कम या रुक जाता है। यह आरबीसी के जीवन काल को भी कम करता है तथा एनीमिया (रक्ताल्पता) का कारण बनता है, जिसे सिकल सेल एनीमिया (रक्ताल्पता) के नाम से जाना जाता है।

एससीडी के लक्षणों में गंभीर एनीमिया, दर्द के प्रकरण, चक्कर आना, अंग क्षति या विफलता, गंभीर संक्रमण, स्ट्रोक, सिरदर्द, यकृत की समस्याएं, जोड़ों की समस्याएं और हृदय की समस्याएं शामिल हैं।

बचाव और इलाज
कोशिश करनी चाहिए कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज में डीहाइड्रेशन या ऑक्सीजन की कमी न हो। उन्हें खूब पानी पीना चाहिए। ऐसे मरीजों को ऊंचे पहाड़ी इलाकों की यात्रा के दौरान अपना खास ध्यान रखना चाहिए। इन मरीजों को नियमित रूप से हीमेटोलोजिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए। अपने आप को न्यूमोनिया से बचाने के लिए वैक्सीन, एंटीबायोटिक प्रोफाइलेक्सिस और अतिरिक्त फोलिक एसिड लेना चाहिए। हाइड्रोज्यूरिया, इन मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। इससे मरीजों को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत कम हो जाती है, बार-बार दर्द के एपिसोड कम हो जाते हैं तथा स्ट्रोक एवं बीमारी से जुड़ी अन्य जटिलताओं की संभावना भी कम हो जाती है।

वर्तमान में देश के कई हिस्सों में नवजात शिशुओं की जांच के लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू किए गए हैं, ताकि बीमारी से पीड़ित बच्चों को जल्द से जल्द पहचाना जा सके और समय पर सही इलाज शुरू किया जा सके। अगर परिवार के किसी बच्चे में ऐसा जीन पाया जाता है तो अगली गर्भावस्था में ही इसकी जांच करानी चाहिए, क्योंकि समय पर पता चल जाने पर परिवार के पास गर्भपात का विकल्प हेता है। इलाज के मौजूदा विकल्पों के साथ मरीज अच्छा जीवन जी सकता है और उसे रोग के लक्षणों, खास तौर दर्द से बचाया जा सकता है।