इतिहास में आज, 30 मई को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस

इतिहास में आज, 30 मई को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस

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  • Publish Date - May 30, 2021 / 07:35 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

नई दिल्ली। 30 मई का हिंदी पत्रकारिता के लिए बहुत महत्व माना जाता है। वैसे तो पत्रकारिता में बहुत सारे गौरवशाली और यादगार दिन हैं। लेकिन 195 साल पहले भारत में पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र 30 मई को ही प्रकाशित हुआ था। इसके पहले प्रकाशक और संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता के जगत में विशेष स्थान है। 1826 में आज ही के दिन हिन्दी भाषा का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। 8 पेज का ये अखबार हर मंगलवार को निकलता था। कानपुर में जन्मे और पेशे से वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक थे। उदन्त मार्तण्ड ईस्ट इंडिया कंपनी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मुखर होकर लिखता था।

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इस वजह से अखबार कंपनी सरकार की आंखों में खटकने लगा और सरकार ने अखबार के प्रकाशन में कानूनी अड़ंगे लगाना शुरू कर दिए। कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक वगैरह की सुविधा दे रखी थी, लेकिन उदन्त मार्तण्ड को यह सुविधा नहीं मिली। आखिरकार आर्थिक परेशानियों और कानूनी अड़ंगों के बाद 19 दिसंबर 1827 को केवल 19 महीनों के बाद ही अखबार को बंद करना पड़ा। 

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ऐसे पड़ी इस समाचार पत्र की नींव

कानपुर में जन्मे शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला के जानकार थे और ‘बहुभाषज्ञ’की छवि से मंडित वे कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडरी यानी पेशकारी करते हुए अपनी वकील बन गए। इसके बाद उन्होंने ‘एक साप्ताहिक हिंदी अखबार ‘उदंत मार्तंड’निकालने क प्रयास शुरू किए। तमाम प्रयासों के बाद उन्हें गवर्नर जनरल की ओर से उन्हें 19 फरवरी, 1826 को इसकी अनुमति मिली।

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इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 कॉपियां छपी लेकिन हिंदी भाषी पाठकों की कमी के कारण उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल पाए। वहीं हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था जो एक महंगा सौदा साबित हो रहा था। इसके लिए जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।

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यह समाचार पत्र हर मंगलवार पुस्तक के प्रारूप में छपता था। इसकी कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके। 30 मई 1826 को शुरू हुआ यह अखबार आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को बंद हो गया। इसकी वजह आर्थिक समस्या थी। इतिहासकारों के मुताबिक कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दी थी, लेकिन “उदंत मार्तंड” को यह सुविधा नहीं मिली। इसकी वजह इस अखबार का बेबाक बर्ताव था। वैसे, भारत में समाचार पत्रों की शुरुआत 29 जनवरी 1780 के दिन हुई थी। जब एक अंग्रेज जेम्स आगस्टस हिकी ने अंग्रेजी में ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नामक पहला समाचार पत्र शुरू किया था। ये भारत के साथ ही एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला समाचार पत्र था।

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इसके बाद धीरे-धीरे भारत में समाचार पत्रों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हुआ। बांग्ला, फारसी और उर्दू भाषा में भी समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे।

1981: बांग्लादेश के राष्ट्रपति जिया उर्रहमान की हत्या
29 मई 1981 को बांग्लादेश के राष्ट्रपति जिया उर्रहमान का चटगांव जाने का प्रोग्राम बना। इसके 4 दिन पहले उन्होंने चटगांव के जीओसी मेजर जनरल मोहम्मद अबुल मंजूर का तबादला कर दिया था और साथ ही आदेश दिया कि उन्हें लेने जनरल मंजूर एयरपोर्ट पर नहीं आएं।

मंजूर उस इलाके के सबसे बड़े सैनिक अफसर थे। राष्ट्रपति के इन दोनों फैसलों से वे नाराज थे। सुरक्षा बलों को मंजूर की नाराजगी की भनक लग चुकी थी। सुरक्षाबलों ने राष्ट्रपति को चटगांव जाने का कार्यक्रम टालने का आग्रह किया, लेकिन जिया नहीं माने वो चटगांव पहुंचे।

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30 मई की अल सुबह करीब साढ़े तीन बजे हमलावर सर्किट हाउस की तरफ रवाना हुए। यहीं पर राष्ट्रपति जिया ठहरे हुए थे। अंदर घुसते ही हमलावरों ने हैंड रॉकेट से सर्किट हाउस पर हमला किया। इसके बाद ग्रेनेड, मशीनगन और रॉकेट से हमले होने लगे। इसी बीच राष्ट्रपति जिया एक कमरे से निकलकर बाहर आए और हमलावरों से बांग्ला भाषा में पूछा – तुम क्या चाहते हो? तभी एक हमलावर ने मशीनगन से जिया पर धुआंधार फायरिंग शुरू कर दी। जिया की मौके पर ही मौत हो गई। केवल 20 मिनटों में ही बांग्लादेश के एक सैनिक राष्ट्रपति को उनकी ही सेना के जवानों ने मार दिया। शेख मुजीब उर्रहमान के बाद जिया दूसरे राष्ट्रपति थे जिनकी हत्या हुई।

2015: एलेस्टेयर कुक इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने।

2012: विश्वनाथन आनंद 5वीं बार विश्व शतरंज चैंपियन बने।

1998: अफगानिस्तान में भीषण भूकंप से करीब 5000 लोगों की मौत हुई।

1987: गोवा को राज्य का दर्जा मिला और गोवा भारत का 25वां राज्य बना।

1919: जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने नाइटहुड की उपाधि लौटा दी।

1883: न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन ब्रिज पर भगदड़ में 12 लोगों की मौत हुई। भगदड़ की वजह ब्रिज टूटने की अफवाह थी।

1498: कोलंबस तीसरी बार 6 जहाजों के साथ अमेरिका की यात्रा पर निकले।