आज यानी 16 अक्टूबर को कोजागरी पूर्णिमा है। इसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस पूर्णिमा को धन प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है।
कोजागरी पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा के साथ इंद्रदेव की पूजा भी करना चाहिए। इससे भाग्यलक्ष्मी की कृपा बरसती है। तो जानते हैं इस व्रत के नियम।
कोजागरी पूर्णिमा को ऐरावत पर आरूढ हुए इन्द्र और महालक्ष्मी का पूजन करके उपवास करके विधि-विधान के साथ इन दोनों देवी-देवता की पूजा करें।
महालक्ष्मी की पूजा करने से धन प्राप्ति होने के साथ भाग्य भी चमकता और इंद्रदेव की पूजा करने से वैभव और सुख-सुविधाओं की वृद्धि होती है।
दोपहर के समय हाथियों की पूजा करके उन्हें भोजन कराएं। साथ ही उनकी आरती उतारने से आपको पुण्य मिलता है। अगर हाथी न मिल पाए, तो उसके नाम पर दान अवश्य करें।
हाथी इंद्रदेव का वाहन है। साथ ही देवी लक्ष्मी की भी हाथियों पर विशेष कृपा होती है।
रात के समय घृत और गन्ध-पुष्पादि के साथ दीपक प्रज्वलित करके देवमन्दिरों, बाग-बगीचों, तुलसी अश्वत्थ के वृक्षों, बस्ती के रास्ते, चौराहे, गली और वास-भवनों की छत आदि पर रखें।
सुबह होने पर स्नान के बाद इन्द्र का पूजन कर गरीबों और जरुरतमंदों को घी-शक्कर मिली हुई खीर का भोजन कराकर वस्त्रादि की दक्षिणा और दीपक दान करें इससे अनन्त फल प्राप्त होता है।
गाय के दूध और घी में बनी खीर में गुड़ या चीनी मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान विष्णु और लक्ष्मी को अर्पित करें। फिर एक कटोरी में खीर को चांद की रोशनी में रख दें। जिससे खीर और भी गुणकारी हो जाती है तथा अगले दिन इस खीर का सेवन करें।