आज हम आपको एक ऐसे आदिवासी समाज के बारें में बताने जा रहे है। जहां कि महिलांए कभी भी विधवा नहीं होती।

 गोंड समाज ने महिलाओं को ध्यान में रखकर ऐसा नियम बनाया है। जिसके चलते इस समाज कि महिलाए सदा सुहागन रहती है। 

गोंड जनजाति को सरसरी तौर पर देखा जाए तो आपको इस समाज में एक भी विधवा नहीं मिलेगी।

गोंड समाज की परंपरा ही कुछ ऐसी है कि पति की मौत के दसवें दिन ही महिला को दोबारा सुहागन बना दिया जाता है।

उस महिला का विवाह घर के ही किसी पुरुष के साथ करा दिया जाता है। वह पुरुष उसका सगा देवर भी हो सकता है या फिर एक छोटा सा बालक भी महिला के साथ सात फेरे ले लेता है। 

गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग 'संकलन', आन्ध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में बसा हुआ है।

गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के पठारी भाग, जिसमें छिंदवाड़ा, बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें बस्तर ज़िला सम्मिलित है, आते हैं।