भारतीय संविधान में न्यायिक और संसदीय सर्वोच्चता का संतुलन है, जो अद्वितीय है। यह संतुलन संविधान की मूल संरचना है जिसे संसद के किसी अधिनियम द्वारा नहीं बदला जा सकता है।
भारतीय संविधान कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण है। संविधान के कुछ प्रावधानों को आसानी से संशोधित किया जा सकता है, जबकि अन्य के लिए जटिल प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।