मजार के सामने जाकर क्यों थम जाते हैं भगवान जगन्नाथ के रथ के पहिये! जानिए क्या है इसके पीछे का रहस्य

देश भर में श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा को आज श्रद्धालु हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। 

ओड़िशा के पुरी में महाप्रभु की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। वहीं रथ पर विराजमान दीनबंधु की एक झलक देखने के लिए लाखों श्रद्धालु श्रीक्षेत्र पहुंचे हैं। 

लेकिन क्या आपको पता है कि यात्रा के समय श्री जगन्नाथ का रथ पुरी की एक मजार के सामने जाकर खुद ब खुद रुक जाता है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सालबेग नामक एक शख्स श्री जगन्नाथ का अनन्य भक्त था। मुसलमान होने के कारण उसे कभी महाप्रभु का दर्शन करने नहीं दिया गया। 

सालबेग ने जगन्नाथ पर ओड़िया में कई भक्ति-गीत लिखे जो पूरे ओड़िशा में लोकप्रिय भी हुए, लेकिन इससे दो धर्मों के बीच की दीवार नहीं टूटी। 

प्राण त्यागने से पहले सालबेग ने एक बार कहा था कि महाप्रभु के लिए मेरी भक्ति सच्ची है तो जीवंत ना सही लेकिन मृत्यू के बाद एक बार श्री जगन्नाथ मेरी मजार पर आकर मुझसे मिलेंगे। 

इस घटना के बाद जब रथ यात्रा निकाली गई तो रथ इनकी मजार पर आकर रुक गया, लोगों की भीड़ में लाख कोशिशों के बाद भी रथ के पहिये हिले तक नहीं। 

इस दौरान किसी अज्ञात व्यक्ति के कहने पर यात्रा में मौजूद लाखों लोगों ने श्री जगन्नाथ से भक्त सालबेग की आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की, जिसके बाद रथ के पहिये अपने आप चल पड़े। 

तभी से यह परंपरा चली आ रही है। हर साल जब श्री जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकलती है तो भक्त सालबेग की मजार पर कुछ देर जरूर रुकती है।