'फूटी कौड़ी नहीं मिलेगी', 'फूटी कौड़ी नहीं है' जैसे शब्द बहुत इस्तेमाल होता हैं, लेकिन इसमें कौड़ी का क्या अर्थ होता है, बहुत ही कम लोग जानते होंगे।
कौड़ी एक तरह की छोटी समुद्री सीपियां होती है। पुराने समय में भारत में कौड़ियों का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था।
कौड़ियों की अलग-अलग मूल्य हुआ करती थी। मान लें कि इनका इस्तेमाल आज के जमाने के रुपये-पैसे की तरह होता था।
व्यापार और किसी भी छोटी से बड़ी चीजों की खरीद बिक्री कौड़ियों के द्वारा ही की जाती थी। पहले हर चीज कौड़ियों के भाव पर मिलते थे।
फूटी कौड़ी, पुराने जमाने में मुद्रा की सबसे छोटी इकाई थी। वहीं तीन फूटी कौड़ियों से एक कौड़ी बनती थी।
दस कौड़ियों से एक दमड़ी बनती थी। दो दमड़ियों से एक धेला बनता था। डेढ़ धेले के बराबर एक पाई होती थी।
तीन पाई मिलकर एक पुराना पैसा बनता था। चार पुराने पैसों को मिलाकर एक आना बनता था।
16 आने मिलकर एक रुपया बनता था। वर्तमान समय में सबसे छोटी रकम एक रुपये का सिक्का है।