सुपेबेड़ा एक ऐसा बदनसीब गांव जो अपने हालातों पर आज 7 साल बाद भी आंसू बहा रहा हैं। सरकार से गांव का हर एक नागरिक बेहद नाराज है।
साल बदले सरकारे बदली नहीं बदली तो सुपेबेड़ा के लोगों की तकदीर, यहां आज भी ज्यादातर घरों में कोई न कोई किडनी पीड़ित मरीज रहता है।
किडनी की बीमारी से 85 मौत यही सुपेबेड़ा की पहचान बन गई है।
2-2 मंत्रियों द्वारा घोषणा किए साढ़े 3 साल से अधिक का समय बीत गया, मगर सरकार 3 किलोमीटर पानी नहीं पहुंचा पाई।
मौतों के इस गांव में जब IBC24 की टीम ने दौरा किया तो यहां के लोगों में सरकार के खिलाफ बेहद नाराजगी नजर आई।
जब अधिकारियों से जवाब मांगा गया तो अधिकारियों का कहना है कि टेंडर प्रक्रियाधीन है।
जांच में पाया गया कि पानी में दूसरे भी कई हेवी मेटल मिलने की बात 3 साल पहले सामने आ चुकी थी, जिसके बाद गांव के 20 हैंडपंप को सील करवा दिया गया था।
सिस्टम और अपनी किस्मत को कोसते सुपेबेड़ा के लोग कहते हैं कि हमारा गांव केवल राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गया। और हम डर के बीच जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर है।