ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि इन तीन गांव की बस्ती में सिर्फ एक ही बोरवेल है जो ग्रामीणों को पानी उपलब्ध कराती है। एक हेडपंप स्कूल परिसर में जरूर लगा है, लेकिन वह भी पिछले 6 महीने से बंद पड़ा है जिसमें पानी नहीं आता ।
ऐसे में ग्रामीणों के पास पीने के पानी के लिए एक ही बोर है जिससे तीन ग्रामीण बस्तियां निर्भर है, लेकिन जब लाइट चली जाती है तो 3 से 4 दिन तक बिजली नहीं आती तो 3 से 4 किलोमीटर दूर नदी से पानी लाना पड़ता है।
यहां तो एक गड्ढे में पानी आता रहता है तो पूरा गांव इसी से पानी भरने आता है। पेयजल संकट से निपटने के लिए कई योजना तो बनाई, लेकिन श्योपुर जिले के कलेक्टर ने योजना सिर्फ फाइलों में ही संचालित कर रखी है।
इस पूरे मामले में पहले कलेक्टर से बात करना चाहिए कलेक्टर ने बाइट देने और कैमरे के सामने आने से साफ मना कर दिया और यहां तक बोल दिया कि मीडिया का काम तो बातों को उछालना है।