फ्रांस की एक गुफा में इसके आकार को बना पाया गया है। माना जाता है कि ये पंद्रह हजार साल से भी पुराना है। स्वीडन में सबसे पुराना कंडोम पाया गया है।

फ्लेवर और कॉन्डम कलर को मैच कराने के लिए ज्यादातर कंपनीज बहुत अधिक सिंथेटिक कलर्स का यूज करती हैं।

बनाना फ्लेवर को कॉन्डम को वैसा ही येलो रंग देने और स्ट्रॉबेरी फ्लेवर के कॉन्डम को मैचिंग का रेड रंग देने के लिए केमिकल्स का यूज होता ही है।

फ्लेवर्ड कॉन्डम यूज करने पर आमतौर पर पुरुषों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। लेकिन महिलाओं को वजाइना में खुजली, जलन और सूजन की दिक्कत हो सकती है।

कुछ कॉन्डम ब्रैंड्स फ्लेवर के साथ ही डॉटेड कॉन्डम प्रोवाइड करा रहे हैं। इसके पीछे की वजह सेक्स के दौरान दोनों पार्टनर्स के प्लेजर को बढ़ाना बताया जाता है।

ये कॉन्डम सामान्य कॉन्डम्स की तुलना में कहीं अधिक महीन लेटेक्स से बनाए जाते हैं। इनका मकसद सेंसेशन को बनाए रखना होता है। 

इनमें यूज किया गया वार्मिंग लूब्रिकेंट बॉडी मॉइश्चर के टच में आने पर ऐक्टिव होता है और वार्मनेस बनाए रखता है।

ज्यादातर कॉन्डम्स एफडीए से अप्रूव्ड होते हैं और इनके साथ सेहत की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है।

मार्केट में इस समय कॉन्डम के जो फ्लेवर्स उपलब्ध हैं, उनमें स्ट्रॉबेरी, बनाना, ऑरेंज, मिंट, ग्रेप, बबलगम, चॉकलेट, वनीला, बैकन और कोला फ्लेवर सबसे अधिक पसंद किए जाते हैं।